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आंखें मंजिल पर रख

भरोसा ख़ुद पर रख सफ़र आसान होगी।

आंखें मंजिल पर रख धूप की तपिश बर्दाश्त होगी।

महफूज़ रास्ते की तलाश 

हमसफ़र की आश नहीं ।

AakheManjilparrakhjindgiaadhanhogi

हर पल बदलते माहौल में

रही इंसानियत की बात नहीं।

जलाकर ख़ुद को रोशनी मिले

चंद सांसें ज़ीने के लिए चाह में 

तमाम उम्र अंधेरों से समझौता नहीं।

पैरों के छाले जलन भूलकर

रौशन कर मंजिल की राहें 

लक्ष्य पर नज़र हो मंजिल की दूरी नहीं।

मंजिल भी खिसकता चला आएगा

देखते-देखते तू लक्ष्य पा जाएगा।




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