KewalHaarmanaskepujakhoge
केवल हाड़ मांस के पूजन होंगे?
सरहद के उस पार न जाने क्या होगा?
एक दुनिया है जिसमें मैं रहती हूं।
दूसरी दुनिया में ना जाने क्या होगा?
सरहद के उस पार न जाने क्या होगा?
क्या उस दुनिया के लोग मेरे जैसे होंगे।
या फिर उनके सुर्खाब पंख लगे होंगे।
प्यार मोहब्बत को क्या समझते होंगे
या अपने ही हित के कारण मरते होंगे।
सरहद के उस पार न जाने क्या होगा?
शरीर से आत्मा को अलग मानते होंगे।
या फिर केवल हाड़ मांस के पूजक होंगे।
दया धर्म भाव करुणा की नदिया होगी।
या मरुस्थल सा जलहीन उनका मन होगा।
सरहद के उस पार न जाने क्या होगा?
दोस्त के हित सर्वस्व न्यौछावर करते होंगे
या अपने हित दोस्ती की हत्या करते होंगे।
दोस्ती रहित दोस्त क्या वहां मिलते होंगे।
सरहद के उसे पर न जाने क्या होगा?
प्रभु क्या मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में रहते होंगे
या द्वेष के आक्रोशित भाव वहां पलते होंगे।
मानव की बस एक ही मानवता जाति होगी
या टुकड़ों-टुकड़ों में बंटा इंसान चिखते होंगे।
सरहद के उसे पर न जाने क्या होगा?
बचपन कि किलकारियां गुंजती होगी।
हवाओं में फूलों की मीठी खुशबू होगी।
हरेक धड़कन में एहसास सुनाई देती होगंगे ।
सरहद के उस पार न जाने क्या होगा?
वक्त की नजाकत को समझ पाने वाले होंगे।
शायद वहां अधूरे लफ़्ज़ों को पढ़ने वाले होंगे।
क्या वहां भी प्रेम विरह के रोग के मारे होंगे।
दिल टूटने पर भी अटूट विश्वास रखने वाले होंगे।
या सब बुजदिल मैदान छोड़कर भागने वाले होंगे।
सरहद के उस पार न जाने क्या होगा।
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