समझ गई जितना समझाया उससे ज्यादा
जब मैं कहता हूं
लहज़ा समझा करो यार, सब मुखारविंद से जाहिर नहीं किया करते।
जब मैं कहता हूं - समय नहीं है थोड़ी देर में बात करता हूं।
जब मैं कहता हूं - बैटरी डिस्चार्ज हो गया।
जब मैं कहता हूं - मोबाईल में डाटा नहीं है।
जब मैं कहता हूं - सॉरी फोन डेड हो गया।
जब मैं कहता हूं - ओफ्फो गाड़ी चला रहा हूं।
जब मैं कहता हूं - हद हो गई ,मेरा मोबाइल खराब हो गया दिखाना होगा।
जब मैं कहता हूं - दोस्तों के साथ हूं।
जब मैं कहता हूं - बहाना नहीं यार ,मेरी तबियत नासाज है।
जब मैं कहता हूं - आफिस में बहुत काम था सर दर्द कर रहा बाद में बात करते हैं।
जब मैं कहता हूं - शादी पार्टी में हूं।
जब मैं कहता हूं - साथ में काम करने वाला लड़का नहीं आया है,बीजी हूं।
समझ गई यार सब समझ गई जितना तूने समझाया उससे शायद कुछ ज्यादा???
मैं तुम्हारे तस्वीर और मैसेज देखकर अपने आप को नहीं रोक पाती।
तुम बता सकते हो तुम कैसे ? मेरे फोन को देखकर भी रुक जाते हो।
मैं तुम्हारे फोन का इंतजार करती हूं, उठाने को आतुर हो जाती हूं।
मैं चौबीस घंटे तेरे मैसेज फोन कॉल के इंतजार में रहती हूं।
तुम्हारी बेरूखी मुझे सोचने पर मजबूर करती है तुम मुझसे भाग रहे हो।
तुमसे बिछड़ने के बाद कैसे खुद को संभालूंगी डर जाती हूं।
एक मैसेज गुड मॉर्निंग, गुड नाइट ओ के देख सब भूल जाती हूं।
छोटे से मैसेज में ढेर सारा प्यार नज़र आता सब भूल जाती हूं।
फिर से मेरे सामने खड़े हो जाते हो ढेरों प्यार लेकर।
तुम्हारी इसी उदासीनता और बहानों से मैं टूट रही हूं।
कोशिश कर रही हूं तुमसे दूर बहुत दूर चली जाऊं।
आसान नहीं है दोस्त फिर से तुम्हें अजनबी समझना।
नदी का पानी उल्टी धारा में बहना आसान नहीं होता है।
सच कह रहे हो मैं तुमसे और तुम्हारे प्रेम से दूर जा रही हूं।
मेरा प्रेम रुपी घड़ा तुम्हारे उदासीनता से सूख चुका है।
प्यार प्रेम मुहब्बत इश्क जैसे शब्दो से मेरा विश्वास उठ गया है।
मैं तुमसे क्या किसी से कभी भी प्रेम नहीं कर सकती।
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