गले मिल कर रोने तक
Tumse Harna Achha Laga

रहने दो मैं बता देती तू सब जगह है बस यहां नहीं।
बीते पल की यादें बन मेरे दिल में है गया कहीं नहीं।
तुम्हारी खामोशी ने इतना हक तो दिया है मुझको।
खुद प्रश्न करते हैं खुद उत्तर दे दिया करते हैं हम।
आईने पर चिपकी तेरी बिंदी हमें सोने नहीं देती।
हमारे बीच फैली इतनी खामोशी हमें रोने नहीं देती।
जाने से पहले माफ करके चले जाते तो अच्छा था।
बड़ी मुश्किल से जिंदा हूं ऐ जिंदगी तेरे बगैर।
ऐसे में तुम कहीं से आ जाते तो अच्छा था।
वगैर तजुर्बा दौड़ में दौड़े थे हारना लाजमी था।
तुम ने सोचा भी नहीं होगा तुमसे हारना अच्छा लगा।
हम तो यू ही ठहाके मारकर हंसते रहते थे।
कैसे तमीज से मुस्कुराते हैं तमीज का पता ना था।
पुरानी तस्वीर देखा तो याद आया मुस्कराते भी थे हम।
जिंदगी चलों फिर से मुस्कराने की वज़ह ढूंढते हैं।
फिर बदतमीज बनकर तमीज से थोड़ा टकराते हैं।
हम तुम मिले ना मिले एक बार गले मिल लेते हैं।
मैं ढूंढती रही इस छोर से जिंदगी के उस छोर तक।
वादा तो था नहीं तेरा, जीवन का अंतिम छोर तक।
रुक जाते ओ जाने वाले जनाजे को कंधा देने तक।
या फिर जाने से पहले गले मिल कर रो लेने तक।
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