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समय हमें मरहम लगाने की मुहलत नहीं देता

 


आत्मा घायल हो बिखरने की कागार पर हो

जीवन में सबसे कठिन सबक है अंदर टूटने पर भी चलते रहना औरों के नजरों में अपने आप को खुश दिखाना। यह एक कठोर सार्वभौमिक सच्चाई हे। जिंदगी तब भी नहीं रुकती जब हमारा दिल टूटा होता है,मन थका होता है। यह तो तब भी नहीं रुकती जब हमारी आत्मा घायल और बिखड़ने की कागार पर हो।

समय किसी के लिए रुकता नहीं है। हमसे भी अपेक्षा करता है कि हम उसके साथ साथ चलें। जीवन के पास ठहरने का समय नहीं है। वह घाव को भरने की मुहलत नहीं देता। खुद को समेटने में समय को बर्बाद करना उसे पसंद नहीं है।

समय हमसे चाहता है अंदर कितना भी दर्द हो, परेशानी हो, फिर भी हम मुस्कुराते रहें।

चाहें अंदर कितने भी टूकड़ों में बिखर चुके हो।

जिंदगी के पास हमारे आराम करने के लिए कोई मौका नहीं।

मनुष्य कितना भी अस्त-व्यस्त, अंदर से खोखला हो चुका हो, फिर भी जिंदगी चलती रहती है। जिंदगी के साथ-साथ हम भी चल रहे होते। हम अंदर ही अंदर लड़ रहे होते हैं, लेकिन हम मानने से इनकार कर रहे होते हैं।

जब सहारा देने को कोई नहीं होता, हम खुद अपने आप को सहारा देने के लिए ढांढस बंधाते है। हम खामोश तो हो जाते हैं, लेकिन यह खामोशी कोई आम चीज नहीं है।

यह एक ज़िद्द है, एक इरादा है कि जिंदगी में हमे हार नहीं माननी है।

थक कर भले ही हमारा शरीर अपनी हरेक कोशिकाओं को दिखाए, हम अनदेखा कर देते हैं। एक दिन जिंदगी के भारी से भारी बोझ को कुचल कर हम आगे बढ़  निकलते हैं।


यह खामोश साहस संघर्ष अपने आप से लड़ने की शक्ति ही हमें मानव की श्रेणी में लाता है।


ज़िंदगी में परेशानियाँ आना तो स्वाभाविक है, लेकिन उन्हें हल करने का तरीका हमारी सोच और दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। यहाँ कुछ उपाय हैं जो मदद कर सकते हैं: 1. **स्थिति को स्वीकार करें** – पहले यह समझें कि हर समस्या का एक समाधान होता है। धैर्य और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें।

कोई भी समस्या ऐसी नहीं जिसका निवारण ना हो सके। आपको धैर्य रखकर उससे छुटकारा पाना है।

2. **मन को शांत करें** – सबसे पहले अपने आप को संभालें। ध्यान, योग, या प्रकृति के साथ जुड़कर अपने भीतर शांति लाएं। इससे सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

3. **समस्या का विश्लेषण करें** – इसे छोटे-छोटे भागों में बाँटकर समझें और देखें कि इसे हल करने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है। कई तरह से इस पर विचार करें।

4. **अनुभवी लोगों से सलाह लें** – अपने करीबी मित्रों, परिवार के सदस्यों, या किसी मार्गदर्शक से राय लें। कभी-कभी बाहरी दृष्टिकोण बड़ा बदलाव ला सकता है।

5. **लचीलापन अपनाएँ** – जीवन है तो चुनौती आएंगी ही, परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालें और सीखने का नजरिया बनाए रखें। हर चुनौती जीवन के अनुभव को समृद्ध बनाती है।

6. **कृतज्ञता का अभ्यास करें** – अपनी उपलब्धियों और जीवन के छोटे-छोटे सुखों को सराहें। यह मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।

7. जितनी चुनौती आएंगी,कठिनाई आएगी आप उतने निखर पाएंगे। भगवान अपने सबसे प्यारे बच्चे की परीक्षा लेकर परखते हैं। 🙂


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