मेरे बहाये आंसुओं
अंज़ाम दिल लगाने का हमको दिखा दिया।
रातों की नींद और दिन का शुकून गंवा दिया।
आपने हमारी वफाओं का कैसा शिला दिया।
अर्थी उठने तक भी तुमको फुर्सत ना मिली।
देखों सबने मेरे आंखों का पलक गीरा दिया।
उम्र भर तेरे कंधे को तरसती पगली जो रही।
शुक्रिया आपने मेरे जनाजे को कंधा तो दिया।
मेरे कब्र को थी बस एक मुट्ठी मिट्टी की तलाश।
शुक्रिया आपने हंसकर मुझे मिट्टी में मिला दिया।
(2)
कागज़- क़लम पकड़ाया तूने, उसे लौटा रही हूं।
जो कुछ लिखा अमानत तुमको सौंपे जा रही हूं।
रो - रोकर लिखती रही ताउम्र तुम बेखबर रहें।
कुछ खाली पन्ने पड़े हैं वो तुम्हें दिए जा रही हूं।
उस पल का जिक्र लिखना जब अकेले थे तुम *मैं ना साथ तेरे थी*
कभी फुर्सत में लिखना वो तमाम खूबसूरत पल भी *जब मैं साथ थी*
वो पल जिसे चाहकर भी, हम कभी जी नहीं पाए।
खिड़की से झांकती आंखें जो तेरे इंतजार में पथराए।
बारिश में भीगती धड़कने और उखड़ती सांसे।
तुम्हारे मजबूत बाहों का सहारा ढूंढती आंखें।
वो तेरे गीत जो होंठों तक आकर रुक गए।
गा नहीं पाए मेरे लिए याद है, या भूल गए।
जब इस दुनिया से परे कहीं दूर चली जाउंगी।
मेरे सारे वो ख्वाब हर अधूरी ख्वाहिश लिखना।
कभी फुर्सत में इक गीत मेरे लिए भी ज़रूर लिखना।
सो सकूंगी सुकून से मुकम्मल मुझे नींद आएगी।
जब कभी तेरी याद धड़कने मेरी तेज कर जाएगी।
तेरी बांह और कंधों का सहारा समझ गुनगुनाऊंगी।
मेरे अधूरे गीतों को मुकम्मल करने की अब तेरी वारी है।
मैं कृष्ण लिख चली, तेरे राधे-राधे लिखने की वारी है।
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