दिल का सुकून लुटाते रहे
मैं एक लम्हा हूं किसी के कहानी की किरदार नहीं।
तमाम उम्र सफ़र में तेरे साथ रहने की दरकार नहीं।
अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से सब जोड़ते रहे।
जुड़ा हर रिश्ते में दिल से, दिल का सुकून लुटाते रहे।
मुस्कराते रहे जिंदगी फूल मिले या कांटे निभाते रहे।
एक विश्वास ले हर महफ़िल में किस्मत आज़माते रहे।
गम ए नहीं मैं कोई कहानी नहीं, ना ही कोई किरदार हूं।
सौदागरों की दुनिया में अंत तक रहने को ना मैं तैयार हूं।
जरूरी नहीं है तेरी भी मौजूदगी ना तुम पर पाबंदी रहें।
कल हम यहां रहे ना रहे भावनात्मक रिश्ता सलामत रहे।
एहसास जो तन्हा हमें रहने ना दे वो जिंदगी में शामिल रहे।
एक तेरा भरोसा है मीत मेरे, चाहे मेरे साथ कोई रहे ना रहे।
बहुतों की भीड़ से डरती हूं, मैं अकेलापन का बस सहारा रहे।
दो क़दम भी चलने से लाचार हूं, हार मानने को भी तैयार हूं।
जाने ऐसा क्यों कर हुआ शब्द कम पर गए जुबां खामोश हो चली।
ऐसे बोझिल रिश्तों को उम्र भर निभाएं जाने से बस लाचार हूं।
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