आप कौन हैं ?
कभी अपने आपको देखें —सिर्फ अपनी परछाई नहीं जो आईना दिखाता है बल्कि सचमुच खुद को देखें अपने अंतर्मन से। आप देखेंगे एक जीवित, सांस लेती आत्मा, ऐसी शक्तियों से बंधी हुई जो आपके समझ से बाहर हैं।
आपका दिल बिना किसी आदेश के भी धड़कता रहता है। आती- जाती सांसों को पहचानने की कोशिश करें, इसका आना-जाना आपका जीवन है। आप इसे एक शांत लय दे सकते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इसे बनाए रखने वाली ताकत कौन है? क्या है?
कृतज्ञता सिर्फ उन चीज़ों के लिए नहीं है जो हम देख सकते हैं, बल्कि उन अनदेखे चीज़ों के लिए भी है—वह सांस जो आपके फेफड़ों को भरती है, वह धड़कन जो आपके शरीर में जीवन को ले जाती है, वह अंतःकरण जो आपके भीतर स्पंदित होता है।
वह शांत आवाज़, जो आपको तब टोकती है जब आप कठोर बोलते हैं। जब आप किसी को आहत करते हैं, कहीं ना कहीं यह भी अपने आप को आहत महसूस करती है।
जब आप उस व्यक्ति से दूर हो जाते हैं जिसे आप दिलोजान से चाहते हैं, आपने इसे भी तड़पते देखा होगा। जी हां शायद आपका ध्यान इस ओर नहीं गया हो।
एक बार गौर से देखें हमें क्यों उनके प्रति कृतज्ञ होना चाहिए जिसे हम नहीं देखते हैं।
आप करोड़ों शुक्राणुओं में एक है जिसने जीवन पाया है। आप करोड़ों को हराने वाले विजेता हैं। यह जीवन कितना बड़ा उपहार है कभी सोचकर देखें।
जब जीवन उपहार है, तो कोई उपहार देने वाला भी होगा, क्या आपने उसे कभी देखा है ? नहीं देखा, ना ही स्पर्श किया, ना आवाज सुनी फिर भी आपको उनके प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।
अभी से अपनी अंतरात्मा को सम्मान देना शुरू करें। यह वही है जो आपको गलतियों से सतर्क करता है। किसी के भी प्रति कठोर बनने से रोकता है।
आप अपने अंतःकरण की आवाज सुनना बंद कर देंगे,बार- बार इसे नजरअंदाज करेंगे तो यह मुरझा जाएगा, मौन हो जाएगा।मौन हो जाएगा
आपको रोकना टोकना बंद कर पीछे हट जाएगा। आप अपनी ग़लती पहचानने की क्षमता सुधारने की इच्छाशक्ति खो देंगे।
यह अनदेखा साथी आपको कठोर से नरम इंसान बनाता है। आपके लिए जन्म से मृत्यु तक धड़कता रहता है।
आप इसे सम्मान दें, ध्यान से इसकी सुनें जब आपको लगे आपने इसकी उपेक्षा की है तो अपने अभिमान को ताक पर रख इससे माफी मांग लें।
क्रमश:....
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