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मृगतृष्णा में मत पड़ो उसे छोड़ आओ


तेरी अहमियत नहीं हो
Que :---मैसेंजर में एक प्रश्न आया था, जबाब या सलाह मुश्किल था। आज मैं अपना सलाह दें रही हूं, हो सकता है आपको पसंद आए या नहीं आए 🙏

जिस ने तुम्हें समझने की कोशिश भी नहीं किया— उसे छोड़ आओ।

जिसे तुम्हारा प्रेम पाने का सान्निध्य मिला फिर भी वह तुम्हें प्रेम करना नहीं सीख पाया,वह कहीं से भी तेरा नहीं है — उसे छोड़ आओ।


तुम्हारे अनुसार वह योग्य था, हर योग्यता होने के बावजूद, जिसने तुम्हें थाम कर नहीं रखा। उसे जाने दो उसे थामे रहकर अपने जीवन में जगह मत दो। भ्रम से जितनी जल्दी निकल सकते हो निकल जाओ।


वह तेरे साथ रहने नहीं आया है, मृगतृष्णा में मत पड़ो। अपने बढ़ते कदम पीछे खींच लो, उसकी प्रवृत्ति कहीं रुकने की नहीं यह अकाट्य सत्य है।


प्यार कोई मौखिक नहीं है, तो लिखित भी नहीं है। यहां भावनाओं का एहसास के अलावा कुछ नहीं चलता। यहाँ कुछ कह देने भर से तुम पास हो जाओ, संभव नहीं है।

कोई भी परीक्षा की घड़ी में वह भाग जाएगा तुम्हें अकेला छोड़कर।

प्यार एक एहसास है — जिसे व्यवहार और कर्म में प्रकट होना चाहिए।

अगर कोई पुरुष कहता है कि वह तुमसे प्यार करता है, तो जुबान से तो कोई भी कुछ भी कह सकता है।


सच्चा प्यार वो होता है जो तुम्हारे हर दुख-सुख में, हर पसंद-नापसंद में चुपचाप शामिल होता है।

वो पुरुष जो बिना कहे, तुम्हारे हर हाल में तुम्हारे साथ खड़ा रहता है।


तुम्हारी मुस्कान के लिए खुद को समर्पित कर सकता है, वह है जो तुमसे सच्चा प्यार करता है। जिसके लिए तुम और तुम्हारी इज्जत मायने रखते हैं। जिसके जिंदगी में तुम्हारी अहमियत हो।


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