तेरे बगैर दिल को अब कोई गम भी नहीं है।
हर खुशी भी अब तो जैसे ग़म से कम नहीं है।
ग़ज़ल में तेरे क़ाफिया संग रदीफ नहीं
हमने चाहा था तुझे, अपने तरीके से।
तुमने कह दिया ये तो इश्क ही नहीं है।
तू जो गया तो साथ गया रंग-ए- चमन,
इस चमन में कोई अब शबनम नहीं है।
वो जो कभी साथ रहता था मेरे हरेक मोड़ पर,
अब कह रहा है —मै तो मैं हूं कोई दूसरा नहीं है।
मैं और तू है --- हम तो अब, हम नहीं है।
तेरे ग़ज़ल में क़ाफिया संग रदीफ़ नही है।
तन्हाइयों में गूंजती रहती है तेरी ये सदा,
सच है अब कोई भी ख़ामोशी कम नहीं है।
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