Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

मेरा पुराना शहर वो प्यारा सा घर

 



वक्त बीत जाता, यादें रह जाती

 

कुछ तारीखें दिल की दीवारों पर ठहर जाती।  

पल भर की खुशियां जैसे रेत में बहतीं,  

मगर बुरा वक्त,तस्वीर बनकर रह जाता।


समय की चाल तो चलती ही जाती,  

हर सुबह एक नई तारीख बनाती।  

लफ़्ज़ अब खामोशी की चादर ओढ़े हैं,  

मन पीड़ा गहराई में डूबा, मौन से जुड़ा हैं।


तुम्हारी यादें अब मुझे रुलाती नहीं ,  

यादों के साफे पर आंसू लिख जातीं।  

मेरा सुकून खामोशी में कहीं अटका है,  

जैसे कोई कविता अधूरा ही रह गया है।


कोई लौटा दे ओठों की हंसी, वो सुनहरे पल,  

जहां वक्त हर पल मुस्कुराता था,

अब तो बस तारीखें बदलती हैं,  

एहसास मेरे जहां थे वहीं ठहरे नज़र आते हैं।


वक्त बीत गया, पर यादें ठहरी की ठहरी रहीं,  

कुछ तारीखें दिल की दीवारों पर लिखी रहीं।  

खुशियां ऐसे आईं जैसे सावन की बरसती बूंदें,  

बुरा वक्त,जैसे ठहरा हुआ दरिया बना रहा कहीं।


समय की रेखा आगे बढ़ती जाती है,  

हर दिन एक नई तारीख बनाती है।  

लफ़्ज़ अब तो खामोशी की चादर में लिपटे हैं,  

पीड़ा की गहराई में जैसे मौन के दीप जले हैं।


अब तो तुम्हारी यादें भी आंसू नहीं लातीं,  

मेरी यादों के साफे पर नमी छोड़ जातीं।  

सुकून खामोशी में कहीं गुम हो गया है,  

जैसे कोई राग बेसूरा अधूरा रह गया है।


कोई लौटा दे मेरे बचपन के वो क्षण,

मेरे ओठों की वो हंसी,वही सुनहरे पल।

जहां वक्त मेरे साथ मुस्कुराता था,

वहीं मेरा पुराना शहर वो प्यारा सा घर।

Post a Comment

0 Comments