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पुरूषों की मानसिक पीड़ा, Emotional Pain of men

Dulhe ki Ankahee veytha

सेहरे के साया में जो खो गया,`

सेहरा को पहन बैठा था मैं,  

जिसे सबने दूल्हा कहा।

 

पर उस पल मेरे दिल ने कहा--

"मैं किसी और का था कभी।'


गुलाबों से सजी थी शाम सुहानी,  

पर मेरी यादों में थे कांटे ही कांटे।


बाजे बजे, ढोलक भी थे गूंजे पर,  

दिल के सुर थे खाली के खाली।


मुहब्बत की वो पहली बारिश,  

अब यादों की रेत बन चुकी थी।

  

वो नाम जो होंठों पे था कभी,

अब सेहरे के ओट छुपी थी।


बारात के चकाचौंध में,

पुरानी चिट्ठी फिर याद आई।


कुछ लम्हे कुछ अनकहे अल्फाज़।

उस पल महसूस किया मैंने तूफ़ान।


कहो क्या तुमने भी महसूस किया था।

टूटन जब लिखा हाथ पर मेंहदी से नाम?

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