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राखी और बचपन की शरारतें
🎀 दो राखी दो कलाईयां
दो हाथों से खींचती थीं,
बड़ी बहन, छोटी बहन,
मैं ज़मीन पर लोटती जाती,
वो कहतीं — "चलो, पढ़ने बहन!"
स्कूल की राह थी मुश्किल,
मेरी ज़िद थी और भी भारी,
जैसे ही उनका हाथ छूटे,
मैं भागूं — पीछे की सवारी।
वो फिर पकड़ें, फिर मनाएं,
कभी डांटें, कभी बहलाएं,
खुद देर से पहुँचें विद्यालय,
और दोनों सज़ा में मुस्कुराएं।
आज राखी का दिन है आया,
भाई को बांधी रेशम की डोरी,
पर मन में एक बात उभरी —
बहनों ने भी तो निभाई थी ज़िम्मेदारी।
भाई न सही, पर थीं वो रक्षक,
हर मोड़ पर साथ निभाया,
मेरे जीवन की किताब में,
हर अध्याय उन्होंने सजाया।
तो आज मैं उन्हें राखी बांधूं,
उनके प्यार को दूं पहचान,
क्योंकि दो हाथों की वो राखी,
बचपन से थी मेरी जान।
✨ दो हाथों की राखी — एक बचपन की कहानी
बचपन की बात सुनाती हूं। पढ़ाई से मेरी बिल्कुल नहीं बनती थी। किताबें देखती और ऐसा लगता जैसे कोई सज़ा सुनाई जा रही हो।
उस समय कहां पता था तमाम उम्र यह कागज़ क़लम ही मेरे साथ रहने वाले हैं।
लेकिन मेरी दो बहनें—एक बड़ी, एक छोटी—हर सुबह मुझे दोनों हाथों से पकड़कर टांगते स्कूल ले जाती थीं। जैसे कोई मिशन पर निकली हों: “इस बार तो इसे स्कूल पहुंचा ही देंगे!” मैं रोती-बिलखती घसीटामल बनी उनसे छूटने की भरसक प्रयास करती😭
मैं भी कम नहीं थी। जैसे ही वे ज़रा सा आराम लेने के लिए मेरा हाथ छोड़ती, उनका ध्यान बंटता, मैं बिजली की तरह पीछे की ओर भागती।
वो फिर से दौड़तीं, मुझे पकड़तीं, और फिर से खींचते टांगते चल पड़ती अपने गंतव्य की ओर ।।
इस रोज़ाना की भागदौड़ में कई बार ऐसा हुआ कि वे खुद स्कूल देर से पहुंचीं, और उन्हें सज़ा भी मिली। लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की । शायद उन्हें पता था कि ये भागती हुई बच्ची एक दिन ज़िंदगी की दौड़ में भी कभी आराम नहीं लेगी ताउम्र भागती रहेगी, भागती रहेगी।
भागेगी— घर से विद्यालय एक शिक्षिका बन उसका नाता विद्यालय से जुड़ने वाला है।
घर वालों से लेकर बाहर वालों को संभालने दौड़ना है, रिश्ते को संभालने की जवाबदेही, वगैर कोई चाहत सबको अपना प्यार देना,सब कर लेगी, बस आज थोड़ा प्यार और धैर्य चाहिए हमें ताकि उसे आगे भविष्य के लिए तैयार किया जाए।
आज राखी का दिन है। भाई को राखी बाँधते हुए अचानक मन में आया—क्या सिर्फ भाई ही रक्षा करते हैं?
मेरी बहनों ने तो बचपन से ही मेरी रक्षा की, मेरी ज़िदों को झेला इतनी (जिद्दी बहन जो मिली है) उन्होंने हार नहीं मानी - वो तो बाद में मुझे ही विद्यालय से लगाव हो गया वरना 😂
उनकी मेहनत रंग लाई मेरी बहनों ने उस राह पर चलाया जहां आज मैं खड़ी हूं।
तो आज, मैं अपनी दोनों बहनों को भी राखी बांधना चाहती हूं।
क्योंकि उन्होंने सिर्फ मेरा हाथ नहीं पकड़ा था—उन्होंने मेरा भविष्य थामा था।
भले ही वो भाई के रूप में नहीं मिलीं थीं मुझे, लेकिन उनके प्यार, उनकी ताक़त और उनकी डांट में वही सुरक्षा थी जो एक भाई देता है।
धन्यवाद मेरी बहनों, मेरी दो राखियां आपके कलाई के लिए 🙏❤️।
आपने मुझे स्कूल नहीं, ज़िंदगी में दाख़िला दिलाया। हर जन्म में आपका साथ चाहूंगी क्योंकि मैं चाहे जितनी जन्म लूं बदलने वाली नहीं हूं। धन्यवाद ❤️
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