✍️ कुछ लिखूंगा कुछ मिटाऊंगा
कुछ लिखूंगा कुछ मिटाऊंगा
कुछ खाली पन्ने छोड़ूंगा।
फ़ुरसत मिले तो आ जाना,
आकर तुम भी कुछ लिख जाना।
मेरे शब्दों के बीच जो चुप्पी है,
वो तुम्हारी आवाज़ को बुला रही।
जो अधूरी पंक्तियां मेरी है पड़ी।
वो तुम्हारे स्पर्श की राह देख रही।
😥जो खाली कमरे है उसमें ---
मैंने कुछ आंसू कोनों में रखें है ,
कुछ मुस्कानें तह करके रखी हैं।
तुम आओ तो उन्हें खोल लेना ,
शायद कोई मीठी याद तुम्हारी हो।
काग़ज़ पर थोड़ी सी धूप भी रखी है,
और थोड़ी सी शाम की उदासी भी।
तुम चाहो तो एक चाय बना लेना,
मेरे साथ बैठकर कुछ कह देना।
यह कविता कोई मेरी नहीं,
ना तुम्हारी कोई कहानी है।
ये तो बस सुकून से भरा एक कमरा है,
जहां दोनों की अपनी-अपनी निशानी है।
खाली घर अपनी बीती यादें खुद दुहराता है।
जब भी इधर से गुज़रा हूं तेरी याद दिलाता है।
शब्द नहीं हैं लिखने को या खाली पन्ने पास नहीं।
कमरे में जो है शब्द पड़े उससे ही कुछ लिख लेना।
फुरसत मिले तो आ जाना।
आकर तुम भी कुछ लिख जाना।
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