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अनकहे प्रेम की अभिव्यक्ति



मुहब्बत है तुमसे कह नहीं पाता 

तुम समझ जाओगी क्या?  

प्रेम जताना मुझे नहीं आता,  

बिना कहे कह देना चाहता हूँ...  

तुम समझ जाओगी क्या?


मेरी पसंद  की साड़ी में जब तुम सजो,  

मैं बस मुस्कुरा दूं ...  

उस मुस्कान में मेरा प्यार पढ़ पाओगी क्या ?


सालगिरह, जन्मदिन... उपहार भूल जाऊं,  

आकर तुम्हें सीने से लगा लूं,  

आलिंगन की मेरी भाषा समझ पाओगी क्या?


प्यासा ना होकर भी बार-बार पानी पीने जाऊं,

ताकि एक झलक तुम्हारी मिल जाए...  

मेरी इस बेचैनी को पहचान पाओगी क्या ?


इधर-उधर हर तरफ...

घर में तुम्हें ढूंढते हुए मेरे आंखों की तड़प,

उस तड़प को तुम पढ़ पाओगी क्या?


तुम्हारे आगोश में सिमटकर  

अपने सारे ग़म, सारी उलझनें छोड़ दूं,  

उस मौन में मेरी मोहब्बत सुन पाओगी क्या ?


गुलाब लाना नहीं आता,  

शब्दों में प्रेम जताना नहीं आता,  

पर मोहब्बत है तुमसे...कह नहीं पाता,

तुम समझ जाओगी क्या ?


ना समझ हूं बहुत,

तुम मुझे समझा पाओगी क्या?

गुस्सा बहुत आता है मुझे,

मेरे गुस्से में छुपा प्यार, ढूंढ पाओगी क्या?




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