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उसकी परवाह करना क्यों है

Lafzo ke chakkar me parna keyo hai 

ख्वाब में मिली दौलत है, यह मेरी
हैसियत नहीं है।

खाली कमरों में फकत साया है, कोई और नहीं है।


मेरे फाकापन ने पूरा कर दिया रस्म-ए-दूरी।

बिछड़ना लाजिमी ही था, झगड़ाना क्यों है?


तुमने बेबफा नहीं समझा, इतना ही काफ़ी है।

हमें अपनी वफादारी का दावा करना क्यों है?


किस्मत मे प्यार, मुहब्बत, इश्क का नामोनिशान नहीं। 

लफ्ज़ लज्जतदार सही, लफ़्ज़ों के चक्कर में पड़ना क्यों है?


माना कि आप एक पर एक फ्री का ऐलान करते है।

जब जरुरत नहीं हैं, तो घाटे का सौदा करना क्यों है।


आप खुद/अपने पर भरोसा करने की सलाह देते हैं।

हमें खुद पर ही नहीं है, फिर आप पर करना क्यों है।


सर- ए- बाजार जिसे नंगा कर दिया गया इस जमाने में।

भाड़ में जाए जमाना, जमाने की परवाह करना क्यों है?

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