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एक घटना एक संस्मरण

 



मैं और मेरी आहत भावना 

🏠 मेरा घर, मेरी मानसिक पीड़ा और मेरा अनुभव और मेरी संवेदनाएँ


मेरा एक छोटा-सा घर है। हाल ही में उसमें चूहों का प्रकोप हो गया।

 

चूहा कई चीज़ों को काट चुका था। 15 दिन के लिए घर से बाहर जाना हुआ। मेरी गलती से वार्डरोब बाहर से लॉक हो गया और उसी में एक चूहा बंद रह गया। मैं छुट्टियों में घर से बाहर थी, और पूरे 15 दिन तक वह वहीं रहा। उस दौरान उसने मेरी साड़ियां कूतरकर खाईं और अपना जीवन यापन किया।  


जब मैं लौटी और यह देखा, तो दिल बहुत दुखा। कई साड़ियाँ मेरी बेहद पसंदीदा थीं। आँसू भी आए, लेकिन मैंने खुद को समझाया—गलती मेरी ही थी। वह बेचारा वार्डरोब में बंद हो गया था, उसकी भी मजबूरी थी।  


🪤 चूहे का पिंजरा और मेरी कोशिशें

मैंने बाजार से एक चूहा पकड़ने वाला पिंजरा खरीदा। हर रात उसमें रोटी रखकर छोड़ देती और सुबह उत्सुकता से देखती कि शायद आज वह पकड़ा गया होगा।

लेकिन चूहा चालाक निकला—रोटी खाकर आराम से निकल जाता।

मुझे लगा गलती मेरी ही थी, शायद मैं पिंजरा ठीक से नहीं लगा पा रही थी।  


एक दिन संयोग से पिंजरा सही से बंद हो गया और चूहा पकड़ा गया। सुबह-सुबह मैं और मेरे पतिदेव उसे तालाब किनारे छोड़ने गए। हमारा विचार यही था कि उसे मारना नहीं, बल्कि बाहर छोड़ देना।  


⚔️ मतभेद और संवेदनाएं

वहीं रास्ते में पतिदेव के एक दोस्त मिले। उन्होंने मेरे पतिदेव को समझाया कि चूहे को छोड़ने से वह फिर लौट आएगा, क्योंकि उसकी सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि बाजार से ज़हर वाली दवा लाकर उसे मार देना ही बेहतर होगा।  


यहीं से घर में पति-पत्नी का टेशन शुरू हुआ। मैं किसी भी तरह चूहे को मारने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन मेरे पतिदेव दवा ले आए। उन्होंने मुझसे आटे में गोली बनाने को कहा, पर मैंने साफ़ इनकार कर दिया।  


मेरे पतिदेव ने खुद ही आटे की लोई बनाकर जगह-जगह रख दी। मेरा मन बहुत बेचैन हो गया। ऐसा लग रहा था जैसे कोई गुनाह कर दिया हो। आंसू अपने आप निकल आए।  


💧 आँसू और बदलाव

कहते हैं, पुरुष की सबसे बड़ी कमजोरी औरत के आँसू होते हैं। मेरे आँसू देखकर मेरे पतिदेव विचलित हो गए। उन्होंने तुरंत सारी गोलियाँ इकट्ठा कर लीं। एक गोली कम थी, उसे खोजने के लिए बेचैनी से इधर-उधर झाड़ू तक चलाने लगे। आखिरकार वह भी मिल गई।  


उनके चेहरे पर जो खुशी थी, वह देखने लायक थी—जैसे कोई बड़ा खजाना मिल गया हो।

मेरी आदत वो जानते जब मैं दुखी होती खाना छोड़ कर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करती हूं।


ज़हर वाली गोलियों को नष्ट कर उन्होंने कहा- कि अब कभी चूहे को मारने की कोशिश नहीं करेंगे।

चूहे घर से ज्यादा अब मेरे पेट में कूद रहें थे। मैंने समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए और खाना खाकर आपको अपने संस्मरण सुनाने आ गई।


🌿 राहत और सीख

उनकी यह बात सुनकर मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने उन्हें कहा - अगर चूहा घर में मर जाता तो बदबू फैल जाती। बाहर छोड़ देने से न कोई बदबू ,ना ग्लानी होगी, न अपराध-बोध।  


इस अनुभव ने मुझे सिखाया कि जीवन में करुणा और संवेदना सबसे बड़ी ताक़त होती है। छोटी-सी घटना ने हमारे रिश्ते में एक नया अध्याय जोड़ दिया—मतभेद होते रहते हैं , कायम रहनी चाहिए समझ और संवेदनशीलता।  


✍️ निष्कर्ष

यह मेरा संस्मरण है। एक साधारण-सी घटना ने मुझे यह एहसास दिलाया कि जीवन में हर जीव का अपना अस्तित्व है। आप सक्षम है तो कमजोर को मारना आसान है, लेकिन छोड़ देना कहीं ज़्यादा सुकून देता है।  


आप अपने विचार कमेंट में ज़रूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएँ मुझे हमेशा प्रेरित करती हैं। 🙏

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