विदाई का दिन – 25 दिसंबर 2025
आज का दिन मेरे लिए विशेष है।
25 दिसंबर, जो शुभ माना जाता है,
और साथ ही तुलसी दिवस भी है—
पवित्रता, जीवन और नवजीवन का प्रतीक।
इसी दिन मेरी गाड़ी, यादों का पिटारा,
जो पंद्रह–सोलह साल तक
मेरे सुख–दुख की साथी रही,
अपनी से आज पराई हो गई।
कानून कहता है कि पंद्रह साल बाद
गाड़ी सड़क पर नहीं चल सकती,
जैसे साठ साल का इंसान, इंसान नहीं।
बशर्ते वह संसद का मेहमान नहीं।
मुझे उसे विदा करना पड़ा।
गाड़ी सिर्फ़ एक साधन नहीं थी,
वह मेरी खूबसूरत यादों का हिस्सा थी।
हर सफ़र, हर मोड़, हर सुख-दुख में,
हर कठिनाई में उसने मेरा साथ निभाया।
आज जाते- जाते ना जाने वह,
कितनी यादों को ताजा कर गई।
आज जब उसे विदा कर रही हूँ,
भीतर एक खालीपन,
चुभन महसूस हो रही है।
ऐसा लगता है जैसे कोई अपना,
राह में हाथ छुड़ाकर चला गया।
मुझे पगफेरा का इंतजार दे गया।
रिटायरमेंट के बाद जब आय बंद हो जाती है,
नई गाड़ी लेना आसान नहीं होता।
नियम–कानून हमारे कहने से नहीं बदलते।
फिर भी दिल कहता है—
सरकार को समझना चाहिए ---
यह बदलाव कितना कठिन होता है,
कितनी पुरानी यादें जुड़ी होती है।
आज, तुलसी दिवस पर,
मैं अपनी गाड़ी को विदा करते हुए
उसके नए मालिक को दुआ देती हूँ—
यह गाड़ी उनके लिए शुभ हो,
नए साल और आने वाले दिनों में
उनके जीवन में खुशहाली और आनंद लेकर आए।

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