जो कर गए बे- जाॅं मुझे उनको,
मैंने जाने- ए- जाॅं ही लिखा।
तेरा जाने का गम है फिर भी,
मैंने खुद को बे- गम ही लिखा।
तमाम उम्र मैं अकेली ही रही।
शर्म को ना मेरे दर्शक पसंद रही।
आपात कालीन का बोर्ड टांगा है अभी।
छूकर मत देखना गीला फर्श है अभी।
अपनी आंखों में दो बूंद आंसू लाए हैं।
वो अपनी वफादारी का सबूत लाए हैं।
मेरे दर्दे- ए- दिल की दवा क्यूं कर बनेंगे वो।
बेवफा है ग़ज़ल के साथ वफ़ा कैसे करेंगे वो।
खुदा जाने कब तलक हम साथ- साथ हैं।
तुमसे जुदा होने का डर तो हरदम साथ है।
रब जाने कैसे संभालूंगा अपने आप को।
ता- उम्र कहां वह रहने वाला मेरे साथ है।



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