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कालेन्डर बदलना साल बदलने की खबर लाता है

 


Jindagi kis mor par le jayegi 

वक्त बीत गया, पर यादें ठहरी रहीं,  

कुछ तारीखें दिल की दीवारों पर लिखी रहीं।  

खुशियाँ आईं जैसे सावन की बूँदें,  

बुरा वक्त आया जैसे ठहरा हुआ दरिया कहीं।


समय की रेखा आगे बढ़ती जाती है,  

हरेक दिन एक नई तारीख बनाती है।  

लफ़्ज़ अब खामोशी की चादर में लिपटे हैं,  

पीड़ा की गहराई में जैसे मौन दीपक जले हैं।


तुम्हारी यादें अब मेरे आंख में आँसू नहीं लातीं,  

बस मेरी यादों के साफे पर नमी छोड़ जातीं।  

मेरा सुकून खामोशी में कहीं गुम हो गया है,  

जैसे कोई राग पूरा नहीं🥲अधूरा रह गया है।


कोई लौटा दे मेरे ओठों की हँसी,वो मेरे सुनहरे पल,  

जहाँ ---

वक्त मुस्कुराता था,मन सुनता था दिल की धड़कन।

अब----

कालेन्डर बदलना साल बदलने की खबर लाता है।

अब तो बस तारीखें बदलती हैं,  

पर कुछ एहसास वहीं ठहरते हैं।

जहां से चलकर आए थे वहां पहुंचने की चाह लिए।

जाने - अनजाने हम किस राह पर भटकते जाते हैं।

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