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गोल्डेन हर्ट


सङक किनारे बैठकर चाय पीना मुझे ,कुछ सोचना  बहुत अच्छा लगता है ।
चाय की दुकान गर बस स्टैंड पर हो, साथ में कुछ अनजाने लोग हो।

कौन था ? वह व्यापारी था हाँ- जी - हाँ सोने के दिल का व्यापारी ।
वहअपने सामान की खाशियत समझा रहा था, सबको वारी -वारी ।

वह सोने के दिल का व्यापारी, अपना और अपनो का पेट भरने के लिए।
बेरोजगारी ने सीखा दिया था, झूठ को भी सच बता, बेचने की कला उसे।

अगर आप एक बार खर्च कर लो, फिर ना होगा बीमार तुम्हारा दिल कभी।
 हमेंशा साथ तो देगा ही देगा ,नही रहोगे तो भी देगा बच्चों को खुशहाली ।

कह रहा था ऐसा कुछ, सच्चे सोने की है ए बनी, गर थोङी सी मुङ जावेगी ।
सुनार के हथौङे खा तुरंत सुधर जावेगी,मांस का लोथङा क्या काम आवेगा?

सोने की दिल लगवा लोगे तो भईया ,न यह कभी दुखी होगा,न तुमको दुखी करेगा।
 कहता सच हूँ सोने का दिल जिस दिन तुम्हे लग जावेगी तेरा रूआव बढ जावेगा।

वह क्या बेंचा ? किसने खरीदा ? देखकर और सुनकर भी कहाँ समझ पाया था मैं ।
मेरे आखों में छलकता आँसू देखकर, समझ ली मुझे है नही खरीद पाने का गम ।
मेरी आँसु को समझ ली उसने मेरी बेबसी

मेरे पास आकर बैठा, कानों में फुसफुसाया,भईया मैं तेरे को सस्ते ही दे डालूँगा ।
अपना कमीशन छोङ बता दूँ ,दर्जन के भाव गर लोगे और भी कम कर डालूँगा ।

अपने और अपने परिवार जनों से बच जाए गर, तो तुम उपहार दोस्तों को कर देना ।
 अपने अंदर सबने तेरा दिया हुआ दिल ही डाले होगे, सोचो कितने अच्छे होगे वो दिन।
,जब तुम सब सोने के दिलवाले होगे ।

मेरे गुस्से का पैमाना था भर  गया, फट पङा मै इस कदर जैसा न था अबतक फटा ।
अरे तू सच बता मानव है या दानव भला, इस सोने के दिल से होगा न किसी का भला ।

माता -पिता की लाश पङी रहेगी धरा पर, संतान उनको छोङ दिल बाँटगें यूँ भला।
इसदिल के रहते जब इन्सान हो गया है इतना बेरहम, सोने का लगा तो क्या होगा?

तुम अपनी जुबां पर नाम भी न लेना दोस्त का, तू क्या जानेगा भला दोस्ती होती है क्या ।
दोस्ती देखनी है तो पलटो जरा इतिहास तुम, खोज सको तो खोज लो दोस्ती के नाज को।

कृष्ण - सुदामा ,कृष्ण -द्रोपदी को देखो, दुर्योधन के साथ कैसे कर्ण था खङा सदा ।
बता दे मुझको तू सौदागर, होता गर सोने का दिल तो होते भी ऐसे- ऐसे दोस्त क्या ।

सोने के दिल मेंअपनापन का है भाव नही ,ममता नहीं ,यह रोता नही गाता भी नही।
किसी की मौत पर आँसू बहाता नही, जाओ सौदागर जाओ फिर से न कभी इधर आना।
                                                                                 नगीना शर्मा









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