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जलवायु

बागवानी में जलवायु का असर बीज के अंकुरण से लेकर फिर से
बीज बनने तक पङता है।बीज को अंकुरणे तथा कली से फूल बनने
में अधिक ताप की आवश्यकता होती है।तापमान में अधिक विषमता
से पौधे मर भी सकते है। हरेक पौधों को अलग 2 तापमान चाहिए।
आइए इसपर कुछ चर्चा कर लेते है....
(A) वर्षा...(क) अनावृष्टि (ख)अतिवृष्टि (ग)मध्यमवृष्टि
(क) अनावृष्टि जहाँ कम वर्षा होती है। यहाँ वैसे पौधे लगाए जिन्हें
कम पानी चाहिए अथवा जल क उचित व्यवस्था करें।
(ख) अतिवृष्टि अधिक वर्षा वाली जगह में पौधों की जङेे सङ जाती
है।पौधों को आॅक्सीजन की कमी हो जातीहै । पौधो में जल जमाव
न होने दे।
(ग) मध्यमवृष्टि वाली भूमि फसलों के लिए उपयोगी होती है।

(B) तेज हवा...यह स्थिति भी पौधों पर अपना असर डालती है।
तेज हवा उपजाऊ मिट्टी को उङा देती है। अधिक तेज हवा पङो को
उखङ देती है।
(C) पाला...पाला का असर खङी फसल पर बुरा होता है।इससे बचाने
के लिए छोटे पौधों को किसी ओट में रखे या पाॅलिथीन से ढककर रखे।
(D) आद्रर्ता...आद्रर्ता का कम या अधिक होना भी पौधों को प्रभावित
करता है। नमी की अधिकता पौधों मे रोगों को कीटों को बुलाता है।अधिक
नमी से परागण क्रिया भी प्रभावित होती है।
(E) गैस...भोजन बनाने में पौधों को कार्बनडायआक्साइड गैस की आवश्यकता होती है।
वातावरण में हानिकारक गैस पौधों के लिए जानलेवा है। फैक्टरी के पास निकलने वाली गैसों
के कारण यह परेशानी अधिक दिखाई देती है।

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