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डहलिया॥

डहलिया को फूलों का बदशाह कहा जाता है। इसका नाम एँड्रिसन गस्टैवडहल के नाम पर पङा । डहलिया में सुगंध नही होती फिर भी अपनी खूबसुरती और रंगों से
आपके बगीचे मे रौनक ला देता है। चलिए इसके बारे में कुछ जानकारी हासिल करते । 
                                                      यह पौधा 75 से -मी से 1 मीटर का होता है ।सैकङो रंगों आकारों में मिलता है। दिसम्बर से मार्च तक इसके फुल खिलते है।इसको जमीन या गमले में लगा सकते है।इसके पौधे तीन तरह से तैयार करते है।
(A) बीजद्वारा
(B) जङ के विभाजन द्वारा
(C ) कटिंग द्वारा
                                         (A ) बीज द्वारा -बरसात के शुरू होते ही इसके बीज को मिट्टी में छिङक दिया जाता है । जब पौधे कुछ इंच के हो जाते तब उसे क्यारियों में या गमले में लगा लिया जाता है। बीज से बने पौधों में फूल छोटे आते है।
(B ) जङों के विभाजन द्वारा -बरसात के मौसम मेंडहलिया की जङे शकरकंद जैसी फूल जाती है उसमें  अंकुरण दिखाई देता है जिसे आँखें कहते है। परन्तु यह कठिन तरीका है। इसमें पूरी सफलता आपके अनुभव पर आधारित है।
(C ) कटिंग द्वारा -यह सबसे आसान तरीका है । इसमें डहलिया की कटिंग से नये पौधे तैयार करते है। आप विभिन्न आकार और रंगों के फूल पा सकते है। आजकल टिशू कल्चर से प्रयोगशाला में पौधे तैयार किये जाते है। 
                               आइए अब इसके लगाने पर विचार करें
(क ) मिट्टी में लगाना -  क्यारी में जहाँ आपको फूल लगाने है वहाँ 40 % गोबर खाद 40 % मिट्टी 20 % बालू मिला दें साध ही 150 ग्राम बोनमील डालकर लगाए। 
(ख ) गमले में लगाना - इसे मैं आसानी से ऐसे बता सकती हूँ आप जितनी मिट्टी लें
उसका आधा गोबर खाद ,फिर उसका आधा बालू फिर उससे आधा पत्ते की खाद मिलाकर गमले में पौधे लगाए ।
बेहतर फूल लेने के लिए 30 ग्राम सुपर फास्फेट 5-10 ग्राम चूना मिला दें ।
डहलिया से खूबसूरत फूल लेने के लिए 
डहलिया में तीन कलिया निकलती है उनमे से बीच की कली जिसे ब्राउन बड कहते है
उसे रहने दें अगल - बगल की कलिया हटा दी जाए तो फूल बङे और सुन्दर आएगें ।
                                                                                            नगीना शर्मा

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