अशोक का पौधा सदाबहार होता है। इसकी लम्बाई ८-से१८ फीट हो सकती है। इसे बीज से उगाया जाता है। बीज जून-जुलाई जुलाई में लगाए जाते हैं। मान्यता है यह पौधा घर से निगेटीव इनर्जी हटाया है। इसके बहुत से मेडिसनल उपयोग होते हैं। यह पार्क, सड़क किनारे तथा बगीचे में लगाया जाता है। यह पिड़ामीड के आकार में बहुत सुन्दर लगता है।
(१) गमले में लगाना- गमले में लगानी होगी तो बड़े गमले लें। इसकी जड़ें बहुत कोमल होती है। बार-बार बार बदलने से पेड़ खड़ाब हो सकता है।
(२) मिट्टी मुलायम रखें ,पानी रुकनी नहीं चाहिए।
(३) यह फरवरी-मार्च अप्रैल में फूल देता है। फूल पांच - छः के गुच्छे में आते हैं। फूल आकार में छोटे पीले- हरे रंग के होते हैं।
(४) इसे देखभाल की खान जरुरत नहीं होती। गोबर की खाद दे सकते हैं।
(५) अशोक की लकड़ी से ढोल,पेंसिल तथा बरसे वगैरह बनाए जाते हैं।
(१) गमले में लगाना- गमले में लगानी होगी तो बड़े गमले लें। इसकी जड़ें बहुत कोमल होती है। बार-बार बार बदलने से पेड़ खड़ाब हो सकता है।
(२) मिट्टी मुलायम रखें ,पानी रुकनी नहीं चाहिए।
(३) यह फरवरी-मार्च अप्रैल में फूल देता है। फूल पांच - छः के गुच्छे में आते हैं। फूल आकार में छोटे पीले- हरे रंग के होते हैं।
(४) इसे देखभाल की खान जरुरत नहीं होती। गोबर की खाद दे सकते हैं।
(५) अशोक की लकड़ी से ढोल,पेंसिल तथा बरसे वगैरह बनाए जाते हैं।
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