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जरूल/ Legerstromia

आज एक ऐसे पौधे की बात करते हैं जिसे अनेकों नाम से जाना जाता है-यह हिन्दी बंगला में इसे जरुल, संस्कृत में अर्जुन के अलावा तामण, प्राईड अॉफ इंडिया, रोज अॉफ इंडिया और भी ढेरों नाम से बुलाते हैं।
(१) मिट्टी-- इसे हर तरह मिट्टी में लगा सकते हैं। वैसे इसे वार्म और हुमिड पसंद है।
(२) धूप- जरुल के लिए धूप अधिक हो या कम भी हो कोई फर्क नहीं पड़ता।
(३) कहां लगाए- आप इसे पार्क,इसे जमीन के कटाव को रोकने के लिए भी लगाया जाता है। अपने बगीचे में लगा सकते हैं। बड़े गमले में भी लगा सकते ,काट- छांट करते रहें।बोनसाई भी बना सकते हैं।
(४) लम्बाई- जमीन में इसकी लम्बाई ८-१२ मीटर जा सकती है।
(५) फूल-मालाएं इसके फूल गुच्छे में आते हैं। मार्च से सितम्बर तक यह फूलों से लदा रहता है ।इसके फूलों का रंग- फूल पींक,रेड,पर्पल,उजला की रंगों में आते हैं।
(६)पानी-- पानी आप कम देंगें या ज्यादा हर हाल में चलेगा। अगर आपने गमले में लगानी है तो मिट्टी अच्छी ड्रेनेज वाली रखें।
(७)खाद-- यह लगाओ भूल जाओ के नियम पर चलता है। आपकी मर्जी गोबर की खाद दें सकते हैं।
(८) फायदे-- (क) आज समस्या परागण की है केमीकल पेस्टीसाईड के कारण मधुमक्खियां और बटर फ्लाई ,बगीचे में आना छोड़ चुकि है। यह उन्हें वापस लाती है। हमारे फल और सब्जी को फायदा होता है।
(ख) आयुर्वेदिक दवा में इसका उपयोग होता है। बर्ड प्रेशर, लीवर, यूरिन पाॅब्लेम,डायबिटीज अनेकों बीमारियों में यह काम आता है। इसके पत्ते की चाय हेल्दी ड्रिकं मानी जाती है।
(९) इसे बीज ,कटींग से आसानी से लगा सकते। पेड़ के नीचे निकलने वाले नन्हें पौधों को भी लगाया जा सकता है।

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