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हरसिंगार

हरसिंगार ,परिजात अनेक नामों से जाना जाता है जिस फूल वाले पौधे को आज उससे परिचित होते हैं। यह रात में खिलने वाला अतिसुगंधित फूलों वाला वृक्ष है। इसके बारे में अनेकों कहानियां हैं। कहते है इसके फूल अपने प्रेमी के इंतजार में रातभर खिला रहता सबेरा होते ही प्रेमिका के आंसू के समान झड़ जाता है। इसके फूल जमीन पर से उठाकर भी पूजा में चढ़ाएं जाते हैं। इसके फूल उजले और डंठल अॉरेंज होते हैं। इसके डंठल से रंग बनाए जाते थे। हमने भी गुड़िया के कपड़े रंगें थे।
(१) मिट्टी-- गमले में लगानी होगी तो मिट्टी में ४०% मिट्टी ४०% रेत २०% गाय का गोबर और पत्ते की खाद रखें।
(२) धूप- पौधे को धूप चाहिए ।
(३) पानी-पानी जाड़े में कम दें। जाड़े में पौधे की वृद्धि रुक जाती है।
(४) पत्ते -- इसके पत्ते रूखड़े सैन्ड पेपर जैसे होते हैं।
(५) खाद- हरसिंगार हर्बल प्लान्ट है, इसमें गोबर खाद पत्ते की खाद दें।
(६) उपयोग- हर बागवान इसकी खुशबू से प्रभावित होकर अपने बगीचे में लगाता है। यह आपके बगीचे ही नहीं पूरे मुहल्ले को सुगंधित कर देता है।
इसके फूल पत्ते और जड़ सभी का उपयोग द्वारा के लिए होता है। यह खांसी, डायबिटीज, हड्डी टूटने, बाल गीरने के साथ फटी एड़ियों में दवा का काम करता है। पुरुषों की नपूंसकता दूर करता है।
(७) कैसे लगाए-- हरसिंगार को आप बीज और कटिंग से लगा सकते हैं। कटिंग बरसात में आसानी से लग जाती है।
बीज से पौधे बनाने के लिए आप अगस्त से दिसम्बर तक बीज लगा सकते हैं।

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