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आज कुछ कहा नहीं ?

आज कुछ कहा नहीं ,आज कुछ सुना नहीं ।
मुझको पंख लग गए उड़ती रही उड़ती रही ।
बहुत दूर आकाश था ,पंख मेरे पास था ।
पंख भी थका नहीं आकाश भी मिला नहीं।

अब तुमसे कोई शिकवा नहीं,किसी से कोई गिला नहीं।
सबको अपना समझ लिया ,पर कोई था अपना नहीं।
एक फरिश्ता था मिला ,भीड़ में वो भी कहीं खो गया ।
मैंने न उसे ढूंढा नहीं ,मुझको वो मिला नहीं ।

जो मिला उसे मुकद्दर कहा, जो खोया था वो किस्मत मेरी।
जो सोचा न था वो मिल गया, जो मिल गया हो मिल गया ।
क्यूं रोता है तू बेकार की बातों को, जो खो गया मिला नहीं ।
यूं लगता है सफर अब खत्म है जो मिला नहीं वो मिला नहीं।

न ज़िन्दगी ही मेरे पास है, न मौत की ही मुझे तलाश है ।
जिनको खुदा की तलाश है ,वो खुदा को ढूंढ़ते रहें।
मेरा खुदा इमान है, जो मुझे आज तक मिला नहीं।
सुन लो इतना मेरे शव से फूल उठाकर बेचने वालों ।
इस फूल को पाने के लिए मैंने पूरी जिन्दगी गुजार दी ।
                          भाग--२
कड़ाके की गर्मी के बाद तेरा आना ।
ऐ बारिश सकून देगा किस कदर मुझे।
याद आएंगे वो जो तेरे तासीर से मर गए।
आते-आते तू ने क्यूं इतनी देर कर दी ।
मर गया कोई तेरा इंतज़ार करते- करते।

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