Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

गोलगप्पे

आज दुर्गा पूजा का दूसरा दिन था । अष्टमी तो भाईजी ने मेरे आंख से काजल हटवाकर बर्बाद ही कर दी थी। आज नवमी पूजा था, समझ नहीं आ रहा था आज जाने को मिलेगा या नहीं। बीते साल तो कहीं नहीं गए थे । कौन ले जाता ? भाई जी सवाल ही नहीं बहन को मेला घूमाने ले जाए। वह तो भला हो भाभी का जिनको घूमाने के चक्कर में भाई जी हम दोनों बहनों को भी कर ले गए।
अब मां को छोड़ भाभी की खुशामद में लिखा गए हम लोग । भाभी आज सरैयागंज चलेंगें वहां की पूजा बहुत अच्छी होती है। भाभी कहती भी क्या ? उनका ज़बाब था आपके भइया ले चलेंगे और तभी तो जायेगें। हमें ऐसा कह रही थी और मन ही मन सोच रही होगी, इन लोगों को उल्लू बना रही हूं । मैं कह दूं तो आकाश से तारे तोड़कर लाखों देंगें मेला क्या है ?
चार बजे भ्राता श्री का आदेश हुआ सब जल्दी तैयार हो जाओ, आज सरैयागंज की पूजा जानी है। इसके साथ एक आदेश और था जो मन को खट्टा कर गया। कोई सजने संवरने की जरुरत नहीं है। टीका ,काजल कुछ नहीं सीधे कपड़ा पहनो चलो। हम तैयार हो गए । भाभी नीचे आई उन्हें देखा तो काफी संजी- धजी थी।  मन में आया कह दूं भाईजी भाभी को देखें ?मन में आना और कह पाना दोनों अलग बात है। मन की बात जुबां पर लाना आसान नहीं होता। वह भी भाईजी को इस तरह की बातें कह पाऊं ऐसी हिम्मत कहां थी हममें।
सरैयागंज मेरे घर से एक डेढ़ किलोमीटर है, साथ ही पूजा के कारण रास्ते बन्द कर दिए जाते हैं । पैदल पूजा पंडाल में पहुंचे। वास्तव में जो सुना था उससे भी खूबसुरत नजारा था। मां की मुरती देखकर लगता था अभी बोल उठेंगी । रासृते में कई और छोटी मोटी मुरती थी , हर जगह प्रणाम करते प्रसाद लेते ,गप्पे मारते हम सब आगे बढ़ रहे थे । अब भीड़ भी नहीं थी, एक गोलगप्पा वाला खोमचा नजर आया। भाई जी ने सबको रोकते हुए एलान किया ,चलो सब पहले गोलगप्पे खाओ फिर घर चलेंगें। गोलगप्पा को खाना तो दूर देखकर ही आनन्द आ जाता है। मुंह में पानी भरे खोमचे तक गए। खोमचे वाले के सामने भीखमंगों जैसी प्लेट पकड़कर खड़े हो गए। हम लोगों ने जमकर गोलगप्पे का लुत्फ़ लिया। अब गोलगप्पे वाले को पैसे देने थे। भ्राता श्री ने जैसे ही हाथ पॉकेट में डाली उनकी सभी ऊंगली बाहर आ गई यानि किसी ने उनकी जेब काट ली थी।
कभी -कभी एकाएक आपको खुशी मिल जाती है। मैं मन ही मन बहुत खुश हुई। आदमी भी अजीब होता है जिस पर गुस्सा हो उसे परेशान देखकर मन को अपार खुशी मिलती है। मेरे आंखों से काजल हटवाए थे भाई जी ने, मैं अपने को बहुत ग्लानी में पाई थी। मेरा मन खुशी से नाच रहा था। अब अच्छा हुआ देखती हूं कहां से देते हैं गोलगप्पे वाले को पैसे।
आज महिलाएं प्रयास लेकर चलती है, लेकिन पहले ऐसा नहीं था । पैसा केवल पुरूष ही लेकर चलते थे। परिवर्तन हमेशा बुरा ही नहीं होता,आज महिलाओं के प्रयास में पैसे रहते हैं ।इस तरह की परेशानी से निजात पाया जा सकता है। कहीं-कहीं कहीं तो थोड़ा ज्यादा ही परिवर्तन दीखता है। मार्केट में पैसे नर के जेब में नहीं मादा के प्रयास में रहते हैं।
हे भगवान मेरी खुशी ज्यादा देर नहीं रह पाई। भाई जी ने दो रिक्शे बुलाए। मेरे समझ में नहीं आ रहा था, अब रिक्शा कर्मों ? बीच में अगर बड़े-बड़े बड़े माकान न होते तो हमारा घर दिखाई देता ? बात समझ में आ गई भाईजी ने क्यों रिक्शा ली, दरअसल रिक्शे वाले से पैसे लेकर उन्होंने गोलगप्पे वाले को दे दिया। घर आकर रिक्शेवाले को पैसे दे दिए।

Post a Comment

0 Comments