जी हां आपने सुना है कोई जानवर को शादी करते , नहीं न । यह तो मानव को ही सौभाग्य पर्याप्त है कि उसे शादी जैसा सुअवसर मिलता है। वह भी आपका महासौभाग्य है कि आपने भारत भूमि पर जन्म लिया। धन्य है यह धरती जहां आपमें चाहे कोई गुण नहो,चाहे आप दो कोड़ी के इन्सान हो कोई बात नहीं । आपके पिताजी की संम्पती पर भी आपकी शादी हो सकती है। बस शादी के उम्मीदवार को केवल पुरुष होना काफी है। कितने जन्म के पुण्य जुड़े होंगे तो मानव तन मिला होगा। न जाने किस - किस योनि में भटके होंगें। कहां थी यह सुविधा कहां थे ऐसे मां-बाप ? कोई काम - धाम न ही करो तो शान से रोटी मिल जाती है खाने को। शेर के मां-बाप में तो इतनी भी शर्म नहीं होती, थोड़ा बच्चा सयाना हुआ और छोड़ दिए कि जाओ बेटा खुद करो खुद खाओ। अरे जानवरों कुछ तो सीख लो इन्सान से, लेखों कैसे कैसे अपने बच्चों को निकलता रहने पर भी घी चुपड़ी रोटी ही नहीं खिलाते, शादी की भी जुगाड़ू बैठाते हैं। यह तो अच्छा हुआ हम जानवरों में शादी का रिवाज नहीं तो अपनी तो बांट लग जाती।
शादी के अनेकों फायदे हैं, सबकी गिनती रख पाना मुझसे संभव नहीं, मैं बोलती जाती आप गिनते जाओ।
हां तो नम्बर एक- आपको बैठे- बैठे भगवान की उपाधि मिली जाती ,इधर मांग में सिंदूर डाली उधर पतिदेव बन गए, मजा लीजिए भगवान की उपाधि का।
सबकुछ ठीक-ठाक चला तो आप पापा के ग्रेड में भी चले जागें। कुछ नन्हें मुन्ना- मुन्नी आपके घर में धमाल करते नजर आएंगे। पिता की उपाधि भी बहुत बड़ी होती है, आपको हक मिल जाता है जब मन करें जिसे मन करें गलती या बिना गलती थी भर कूट सकते हैं। कैसा लग रहा है आपको ? क्या आप सपने भी सोच सकते हैं किसी और को इतना कूटते, तो आपका क्या हाल होता? यह तो आपके पापा की उपाधि भी है जो किसी को टूटने का आनन्द आप उठा पा रहे हैं। अब तो मान रहे होगें आप शादी क्यों करनी चाहिए।
अब आते हैं मां पर आपने शादी नहीं की होती तो मां के बारे में आपका ज्ञान अधूरा रह जाता । यदि सांस - बहुत का तांडव नृत्य देखने को नहीं मिलता तो मानव जन्म ही ब्यर्थ हो जाता।
एक काम करके देखना बीबी के सामने किसी औरत या लड़की को ताड़कर देखना, तुम्हें पता चल जाएगा, महाभारत में क्या सब हुआ होगा । लेकिन तुम्हें उसके निगेटीव पक्ष नहीं देखने है ,पॉजिटिव सोचो कितनी इर्ष्या हो रही तुम्हारी पत्नी को ,सुख का अनुभव क्यों। शादी नहीं होती तो तुम्हें यह पता भी नहीं चलता तुम कितने इनपोटेंन्ट हो ? कोई है जो तुम पर अपना पूरा अधिकार रखता है । यह सुखानुभूती एक मानव ही पा सकता, वह तभी तब इस बात की संभावना और भी अधिक हो सकती अगर तुम भारत के मानव हो। किसी - किसी जगह के प्राणी इस अदम्य सुख से वंचित रह जाते, वहां पति केवल पति होते पतिदेव नहीं । वहां पति को छूट रहती इधर - उधर देख सकते, चाहे तो एकाध पत्नी भी रख सकते। अब शायद तुम्हें दुख का अनुभव हो रहा हो, सोचते होगें काश मैं भी वहीं की पैदाईश होता। मैं तुम्हारे आंसू नहीं पोंछ सकता जितना चाहे दुखी हो लो, पर एक बात समझ लो पतिदेव की उपाधि नहीं मिलती।
एक बात तो मैं कहना भूल गई। अगर तुम्हारे माता-पिता को तुम्हारे शादी की जल्दी नहीं है, तो तुम खुद भी पथराई कर सकते हो । सोसल मिडिया का जमाना है, एक ही कर्मों दो --चार से दोस्ती रंखो ,ताकि उनमें से बेहतरीन को छांट सको। अपने अनगढे चेहरे का पिक्चर डालो ,जो लाईक करे उसे चलाओ जो नहीं करें,उसे आगे ढोने की जरूरत नहीं। कभी न कभी कोई न कोई मिल ही जाएगी। इसमें एक सहुलियत और भी है, अपने पसंद से शादी की है तो इसे छोड़ने की नौवीं आ जाए तो आसानी से तोड़ सकते हो,। कोई घरवाले तो है नहीं बीच में कि समझा-बुझाकर होशियार बनाएंगे। शादी गई फिर अगला तलाश शुरू करों।
अपना महत्त्व और बढ़ जाएगा जब तेरे लिए बर्त रखा जाएगा। तुम्हारे लम्बी उम्र की दुआ मांगी जाएगी,एक दिन के लिए ही सही तेरे पांव छूए जाएंगे। उस समय हिरण्यकशिपु के जैसा खुद को भगवान समझने की भूल हो सकती है। यहां याद रखना यह सब बस एक दिन का नाटक है। ऐसा ही सुखद अनुभव एक बार पहले भी आया होगा जब घोड़े पर बैठे होगे लगता होगा, जो हूं सो मैं हूं मेरे सिवा सब तुक्ष्य प्राणी है। ज़िन्दगी में इतने आदर इतना स्नेह कभी देखा ही नहीं होगा। हर नज़र में तुम ही तुम ,उस समय भी दिमाग आकाश में उड़ रहा होगा। याद करो वह सुनहरा समय कितना क्षणभंगूर था। शादी कर घर लौटते फिर तुम जो थे वही रहे गए। चेहरे भी वही पुराने ओरिजनल निकल आए, उस समय तुम्हें फेशियल करने वाले पर गुस्सा भी आया था, लगा था उसने नकली सामान यूज किया है,इतनी जल्दी फिर वही छुहारे जैसा चेहरा निखर आया। फिर यह सोचकर मुंह से निकली गाली मुंह में ही दबा ली थी ,चलो जो भी हो शादी के समय तो शाहरूख खान बना दिया था। तब तो सालियों ने जूते चुराए यह चेहरा ऐसा दिखता तो मुझे मंदिर में ही जूते चुराकर संतोष करने पड़ते जो दुख का कारण बनता था। कई बार जूते पहन कर गया और खाली पैर वापस आया हूं। सालियों के जूते चुराने का आनन्द लेने के लिए ही सही शादी कर लो।
हां तो मैं शादी के फायदे बताए रही थी, अभी जब काम करने वाली की इतनी कमी है साथ ही पैसे भी खर्चने पड़ते ऐसे समय में तो भूल कर भी शादी से बचने की कोशीय नहीं करना। यह शादी नामक रिवाज अभी वरदान है , चौबीस घंटे की नौकरानी और वह भी मुफ्त ?
शादी के अनेकों फायदे हैं, सबकी गिनती रख पाना मुझसे संभव नहीं, मैं बोलती जाती आप गिनते जाओ।
हां तो नम्बर एक- आपको बैठे- बैठे भगवान की उपाधि मिली जाती ,इधर मांग में सिंदूर डाली उधर पतिदेव बन गए, मजा लीजिए भगवान की उपाधि का।
सबकुछ ठीक-ठाक चला तो आप पापा के ग्रेड में भी चले जागें। कुछ नन्हें मुन्ना- मुन्नी आपके घर में धमाल करते नजर आएंगे। पिता की उपाधि भी बहुत बड़ी होती है, आपको हक मिल जाता है जब मन करें जिसे मन करें गलती या बिना गलती थी भर कूट सकते हैं। कैसा लग रहा है आपको ? क्या आप सपने भी सोच सकते हैं किसी और को इतना कूटते, तो आपका क्या हाल होता? यह तो आपके पापा की उपाधि भी है जो किसी को टूटने का आनन्द आप उठा पा रहे हैं। अब तो मान रहे होगें आप शादी क्यों करनी चाहिए।
अब आते हैं मां पर आपने शादी नहीं की होती तो मां के बारे में आपका ज्ञान अधूरा रह जाता । यदि सांस - बहुत का तांडव नृत्य देखने को नहीं मिलता तो मानव जन्म ही ब्यर्थ हो जाता।
एक काम करके देखना बीबी के सामने किसी औरत या लड़की को ताड़कर देखना, तुम्हें पता चल जाएगा, महाभारत में क्या सब हुआ होगा । लेकिन तुम्हें उसके निगेटीव पक्ष नहीं देखने है ,पॉजिटिव सोचो कितनी इर्ष्या हो रही तुम्हारी पत्नी को ,सुख का अनुभव क्यों। शादी नहीं होती तो तुम्हें यह पता भी नहीं चलता तुम कितने इनपोटेंन्ट हो ? कोई है जो तुम पर अपना पूरा अधिकार रखता है । यह सुखानुभूती एक मानव ही पा सकता, वह तभी तब इस बात की संभावना और भी अधिक हो सकती अगर तुम भारत के मानव हो। किसी - किसी जगह के प्राणी इस अदम्य सुख से वंचित रह जाते, वहां पति केवल पति होते पतिदेव नहीं । वहां पति को छूट रहती इधर - उधर देख सकते, चाहे तो एकाध पत्नी भी रख सकते। अब शायद तुम्हें दुख का अनुभव हो रहा हो, सोचते होगें काश मैं भी वहीं की पैदाईश होता। मैं तुम्हारे आंसू नहीं पोंछ सकता जितना चाहे दुखी हो लो, पर एक बात समझ लो पतिदेव की उपाधि नहीं मिलती।
एक बात तो मैं कहना भूल गई। अगर तुम्हारे माता-पिता को तुम्हारे शादी की जल्दी नहीं है, तो तुम खुद भी पथराई कर सकते हो । सोसल मिडिया का जमाना है, एक ही कर्मों दो --चार से दोस्ती रंखो ,ताकि उनमें से बेहतरीन को छांट सको। अपने अनगढे चेहरे का पिक्चर डालो ,जो लाईक करे उसे चलाओ जो नहीं करें,उसे आगे ढोने की जरूरत नहीं। कभी न कभी कोई न कोई मिल ही जाएगी। इसमें एक सहुलियत और भी है, अपने पसंद से शादी की है तो इसे छोड़ने की नौवीं आ जाए तो आसानी से तोड़ सकते हो,। कोई घरवाले तो है नहीं बीच में कि समझा-बुझाकर होशियार बनाएंगे। शादी गई फिर अगला तलाश शुरू करों।
अपना महत्त्व और बढ़ जाएगा जब तेरे लिए बर्त रखा जाएगा। तुम्हारे लम्बी उम्र की दुआ मांगी जाएगी,एक दिन के लिए ही सही तेरे पांव छूए जाएंगे। उस समय हिरण्यकशिपु के जैसा खुद को भगवान समझने की भूल हो सकती है। यहां याद रखना यह सब बस एक दिन का नाटक है। ऐसा ही सुखद अनुभव एक बार पहले भी आया होगा जब घोड़े पर बैठे होगे लगता होगा, जो हूं सो मैं हूं मेरे सिवा सब तुक्ष्य प्राणी है। ज़िन्दगी में इतने आदर इतना स्नेह कभी देखा ही नहीं होगा। हर नज़र में तुम ही तुम ,उस समय भी दिमाग आकाश में उड़ रहा होगा। याद करो वह सुनहरा समय कितना क्षणभंगूर था। शादी कर घर लौटते फिर तुम जो थे वही रहे गए। चेहरे भी वही पुराने ओरिजनल निकल आए, उस समय तुम्हें फेशियल करने वाले पर गुस्सा भी आया था, लगा था उसने नकली सामान यूज किया है,इतनी जल्दी फिर वही छुहारे जैसा चेहरा निखर आया। फिर यह सोचकर मुंह से निकली गाली मुंह में ही दबा ली थी ,चलो जो भी हो शादी के समय तो शाहरूख खान बना दिया था। तब तो सालियों ने जूते चुराए यह चेहरा ऐसा दिखता तो मुझे मंदिर में ही जूते चुराकर संतोष करने पड़ते जो दुख का कारण बनता था। कई बार जूते पहन कर गया और खाली पैर वापस आया हूं। सालियों के जूते चुराने का आनन्द लेने के लिए ही सही शादी कर लो।
हां तो मैं शादी के फायदे बताए रही थी, अभी जब काम करने वाली की इतनी कमी है साथ ही पैसे भी खर्चने पड़ते ऐसे समय में तो भूल कर भी शादी से बचने की कोशीय नहीं करना। यह शादी नामक रिवाज अभी वरदान है , चौबीस घंटे की नौकरानी और वह भी मुफ्त ?
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