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ऐसा कुछ है तो सही

न जाने किसकी दुआ लगी,जो तुम तक ले आई मुझे।
अब तकल्लूफ कैसी तू न सही, मैं तो तेरे साथ सनम।

मुझे तेरी ख्वाहिश भी नहीं,
तूझे तेरी चाहत भी नहीं।
तू  भले शाहजहां नही,
मैं भले मुमताज नही।
ऐसा कुछ है तो सही,
 जिसका कोई नाम नहीं।
तू भले राधा भी नहीं,
 मैं तेरा घनश्याम नही।
कई जन्मों का है प्रिय अपना साथ नही ।
तुम जो मिल जाओगे हम संवर जाएंगे ।
तू जो बिछड़े तो फिर कुछ बचेगा नहीं।

मुहब्बत तुमको भी नहीं, मुझको भी तुमसे प्यार नही।
बहुत खूब सूरत है सब मंजर पर मुझे जचता ही नहीं।

मैं भले तेरी सुख चैन नही, तू भी मेरे दिल का करार नही।
दुनिया की सब नेवते तेरे पास सही बस मैं ही तेरे पास नहीं।

मुझको जो कामयाबी मिली या कि मिली हो शोहरत।
जो भी मिली तुम से ही मिली, मेरा इसमें कोई हाथ नही।

न जाने क्यूं सफर में रहकर भी सफर अच्छा नहीं लगता।
तेरे वगैरह अब कोई दिलकश नजारा अच्छा नहीं लगता।

एक दूसरे को भूलने का वादा हम यूं ही तोड़ते रहें।
तुम मुझे याद आते रहो, हम तुम्हें याद आते रहें।

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