वो सारी आयतें छोड़ी अधूरी
जहां पे तेरा था नाम आया।
खुदा निगेहबान रहे तुम्हारा।
जुबां पे तेरे मेरा नाम आया।
मेरी नैया डूबी वहीं थी।
जहां न पानी का कोई निशां था।
अपनी नजरों से क्यो गिरी मैं।
लगता है कोई ख़ुदा नहीं था।
मेरी बेबकूफी का आलम तो देखो।
समझा था जिसको ख़ुदा नहीं था।
मेरी शक्लो सूरत से नफरतन थी जिसको।
हर गली, गली में मेरा पता पूछता है।
जहां पे तेरा था नाम आया।
खुदा निगेहबान रहे तुम्हारा।
जुबां पे तेरे मेरा नाम आया।
मेरी नैया डूबी वहीं थी।
जहां न पानी का कोई निशां था।
अपनी नजरों से क्यो गिरी मैं।
लगता है कोई ख़ुदा नहीं था।
मेरी बेबकूफी का आलम तो देखो।
समझा था जिसको ख़ुदा नहीं था।
मेरी शक्लो सूरत से नफरतन थी जिसको।
हर गली, गली में मेरा पता पूछता है।
0 Comments