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मच्छर मेरे दोस्त-- भाग-२

दोस्त जानते हो तुम्हारे काटने के बारे में कितनी कहानियां सुनने में आती है कोई कहता जिसके खून मीठे होते उन्हें तुम काटते, कोई कहता जो घर गंदे रखते उसे चूसते हो, कहने वाले तो यहां तक कह देते तुम महिलाओं को ज्यादा काटते हो , दोस्त सच बताना क्या तुम भी औरतों को कमजोर समझ अपना शिकार बनाते हो ? आपने दोस्त कहा, हम मच्छर छोटे जीव सही दोस्ती की कद्र करना जानते झूठ नहीं कहूंगा। हम महिलाओं को कमजोर समझ नहीं कटते, दरअसल औरतों के स्कीन मुलायम होते, काटकर खून पीने में आसानी होती है।
मच्छर जी आप बहुत भले जीव हो। लोग तो सीधे - सीधे बहु-विवाह बेटियों के कपड़े पर उतर जाते। कुछ हुआ नहीं कि कपड़े की नाप करने लगते। मच्छर भाई आपके काटने को भी लोगों ने कपड़ों से जोड़ दिया, आधे कपड़े पहनेंगी तो मच्छर काटेंगे ही। अब जरा आप ही बताओ मच्छर सर औरतें चादर ओढ़कर रहा करें।
मैं तो सोच नहीं पाती दो- चार बूंद में इनका जाता ही क्या है? यह तो भला हो उनका मच्छर मारने की बात करते हैं और एक भी मच्छर का बाल बांका नहीं कर पाते। एक गुड नाईट, कछुआ या फिर आॅल आउट आपको घर से बाहर निकाल भले दें, आपको मार नहीं पाते। जिस खून की रक्षा हेतु यह आपके दुश्मन बने फिरते हैं, उसे तो बात बात में सड़कों पर बहा देते हैं। भाई का सर फोड़ना , पड़ोसियों की लाशे बिछा देने में अपने चाहे ख़ून की नदी बह जाए, ऐसा कभी उफ़ तक नही करते, बस एक बेचारा मच्छर को भूखे मारना है।
कहते हैं सबमे वहीं प्रभू  का निवास है तो क्या तू ही एक ऐसा जीव है दोस्त जिसमें प्रभू का निवास नहीं ?

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