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पता नहीं है।

मुझे मुहब्बत थी उनसे शायद।
उनको शायद इसका पता नहीं है।

नफरतों का है ऐसा आलम ।
देखें उन्हें पर दीखा नहीं है ।

औरों के चेहरे पढ़ें हों जिसने।
अपना गिरेवा दिखा नहीं है।

वो क्या देगा मुआफी मुझको।
जिसने देना सीखा नहीं है।

चलते - चलते थक कर रुको तुम।
रूक - रूक कर चलना मना नहीं है।

उसने समझा ख़ुदा है उसका।
खुदा तो अब तक बिका नहीं है।

आओ तलाशी लेकर तुम देखो।
तुमसे कुछ भी छूपा नहीं है।

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