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कहां गई वो ?

हेलो, हेलो अरे यार कौल नहीं करते तो उठा लिया करो। कब से आवाज़ लगा रहा तुम सुनते ही नहीं।
क्या बताऊं मेरा तो गला सूख रहा,सारे पत्ते मुंह लटका कर बैठ गए है।न जाने आज क्या हुआ बोकारो गार्डन को।एकब एक भी बाहर आकर हमसे बातें भी नहीं की। खाद न पानी न खिले फूलों को देखकर मुस्कराना ना ही पत्तों को सहलाकर शाबाशी देना,समझ नहीं पा रहा हुआ क्या? कहती है तुम सब मेरे बच्चे हो तुम्हें देखकर जीती हूं? सोचता हूं क्या यह सब झूठ है? दिल कहता है नहीं जरुर कोई बात है वरना वह कैसे भूल जाती बगीचे में बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे।
अरे यार मैंने कौल क्या किया, तुम तो अपना दुखड़ा ही लें बैठें। मैं बताता हूं क्या बात है, दरअसल आज जितिया का पर्व है। मां इसे अपने बच्चों के लिए करती है। कहते हैं जो इस पर्व को करता है, उसके बच्चों पर कोई आपत्ति नहीं आती। अपने बच्चों के लंबी आयु और निरोग रहने के लिए माताएं चौबीस घंटे खाना तो दूर की बात है, एक बूंद पानी तक नहीं पीती है।हम सभी को भी तो अपना संतान कहती है तो समझो वह हमारे लिए भी व्रत रखी है। आज जैसे तैसे काम चला लो, मुझे लगता है सबेरे पारण कर जरुर हमें खाना पानी देने आ जाएगी।
ओ हो तो यह बात है, फिर। हमें बताया क्यो नही, थोड़ी सी अधिक पानी पी लेता? किसी और को कहकर भी तो हमें खाना पानी दिलवा सकती थी।
अरे यह बात तो न कौम्यूनीटी पर लिखकर बताया था, तुमने देखा नहीं? रही बात कि तुम अधिक पानी पी लेते, तुमने सुना नहीं वो कहती हैं पौधे कम पानी से नहीं, अधिक पानी से मरते हैं। परेशानी तो मुझे भी है,प्यास से मैं भी बेचैन हूं,पर मैं उनके प्यार को दिल से महसूस करता हूं, मैं तेरे जैसा नाशुक्री नहीं हूं। मैंने देखा है जब   हममें से कोई अस्वस्थ ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌हो कैसे बेचैन हो जाती है, और कोई पौधा मर जाएं सबसे आंखें बचाकर रोती है। उन्हें लगता कि हमारी आंखें नहीं ,देख नहीं सकते। हमारे बीच सबसे छुपाकर आंसू बहाते।मेरा दिल तो करता उनके आंसू पोंछ कर सांत्वना दूं, पर क्या करूं, विधाता ने हाथ दिया नहीं। जब तक वो इधर उधर देखती है, मैं एक दो फूल झट से खिला देता हूं। मुझे उनका आंसू भरे आंखों से खिले फूलों को देखकर मुस्कराना बहुत अच्छा लगता है। चलों आज सो जाते हैं, तुम याद करो जब कोई रात में। हमारे फूल छूने को हाथ बढाता है, कैसे उसे डांटती है ,रात में पौधे सोते हैं ,तंग न करों।
हां, अब मैं तुम्हारे अंतिम प्रश्न का उत्तर दे दूं, कभी देखा है किसी को हमें छूने देती है। उनके दिल में जो मुहब्बत हमारे लिए है उसे कभी बांटना नहीं चाहती है। चलो चलकर सो जाओ, सबेरे मिलते है। शुभरात्रि......

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