Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

चरागो- को- बुझाई- उसने

जिनके लफ़्ज़ों के तीर मेरे जख्मो को कुरेद जाते हैं।
चुप रह कर भी तो आप हमें जख्मी कर जाते हैं।

हम वो हैं जो दिल की आंखों में उन्हे बसाया है।
रोया नहीं आंसू बन गिरने से उन्हें बचाया हैं।

हम तो फकत दोस्ती निभाते रह गए।
उनको किसी और से मुहब्बत हो गई।

कसूर मेरा उसने मुझे बताया ही कहां ?
बैठे बिठाए रिश्ता अपना खतम यूं हो गया।

जिनके इंतजार में पलकें बिछाए बैठी थी।
शाम से ही शमा जलाए रखी थी।

शब होने तक चरागों को बचाए रखी थी।
हवा बनकर चरागों को बुझाई उसने।

जिसके साथ का मतलब ही सब कुछ था।
बाद उसके का मतलब कुछ भी रहा नहीं।

उसके चाहने वालों की भीड़ में कहीं।
खड़ी मैं भी तो थी उसे दिखा ही नहीं।

Post a Comment

0 Comments