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यादो- का- तलब- हो- गया

साथ न सही मेरे आस- पास है तू।
आंख बंद करू लगता है पास है तू।

तू मेरी अरमान नही बस एहसास है तू।
तू मेरी जिन्दगी न सही पर जान है तू।

सोचता हूं तू मेरा मुजरिम नही।
फिर क्यो इतना परेशान है तू ।

जिन्दगी तो है मगर जीना भूल गया।
जाम भरी ग्लास पर पीना भूल गया।

जीता तो हूं पर जीने का मकसद ही याद नही।
क्या पाया क्या खोया रखा कभी हिसाब नही।

अपनी- अपनी जिन्दगी सब जीते है मेरे बगैर ।
एक मै ही हू जिसे सबके बगैर जीना नही आया।

उसी दीय ने मेरे आशियाना जलाने की जुर्रत की।
जिसे सौ बार हवाओ से बचाने की मैने हिम्मत की।

मै खुद ही अपनी तबाही का मंजर बना।
मेरी आंखे उनके लिए आँसू बहाती रही।
यादे आ-आकर देर तक हमे रुलाती रही।
सोचा तो था एक दिन भूल जाउंगा उसे।
दिल को उसकी यादो का तलब हो गया।

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