उसके वादे पर एतबार कर रातभर सपने सजाती रही।
उसने वादे जाने क्यू थे किए जब उसको आना न था।
जाने कब मेरी आंखे बोझिल हुई।
सपने को आने का मौका मिला।
मन के बौरमपन ने दिल पर यू कब्जा किया।
न खुद सुकून से रहा न दिल को रहने दिया।
दिल धड़कने का सबब ना था कोई।
फिर भी रात भर क्यू धड़कता रहा ।
आज पहली बार अनहोनी कुछ ऐसा हुआ।
दरवाजे की हर आहट तेरी आहट सी लगी।
घुंघरू मेहंदी बिन्दिया डंसती सी लगी।
तू न आए तो क्या तुझे आना न था।
आंखे जगती रही सपनो को भी आना न था।
याद तेरी, मेरी सौतन बन आकर सताती रही।
काजल कालिख बन चेहरे पर आती रही।
तुम न आए मेरे साजन वक्त ठहर सा गया।
रात मुझे डराती रही याद तेरी सताती रही।
तेरे आने का वादा न था क्यू याद आने लगी।
आओ हम दोनो शिकवे शिकायत की बात खत्म करते है।
आंखो को सूकून दिल को चैन दे राहत की बात करते है।
दुनिया के रंजोगम छोड़ खुदा।
उसकी नेमत को याद करते है।
उनके बंदे है उनको याद करते है।
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