हम आए हैं आपके दयार में बार - बार।
कभी फूल तो कभी पत्थर हर बार आए।
पाबंद है हम अपने ही उसूलों के जनाब।
वरना शहर के मंजर बदल कर रख देते ।
हमने हजारों बार चेहरे बदल-बदल कर देखें।
अलग-अलग चेहरे में फिर वही सितमगर देखें।
हम अफसानाए गम सुनाए कहो किसको ?
अच्छे बुरे का फर्क समझना नामुमकिन है।
उनकी नजरों में बिसात मेरी हैसीयत ही क्या है ?
पहलू बदल गए उन्हें वादे शबा से उल्फत क्या है?
उनकी शरारत भरी नजरों में प्यार दिखता है।
कितनी बेताबी है तबाही का सबब दिखता है।
कभी फूल तो कभी पत्थर हर बार आए।
पाबंद है हम अपने ही उसूलों के जनाब।
वरना शहर के मंजर बदल कर रख देते ।
हमने हजारों बार चेहरे बदल-बदल कर देखें।
अलग-अलग चेहरे में फिर वही सितमगर देखें।
हम अफसानाए गम सुनाए कहो किसको ?
अच्छे बुरे का फर्क समझना नामुमकिन है।
उनकी नजरों में बिसात मेरी हैसीयत ही क्या है ?
पहलू बदल गए उन्हें वादे शबा से उल्फत क्या है?
उनकी शरारत भरी नजरों में प्यार दिखता है।
कितनी बेताबी है तबाही का सबब दिखता है।
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