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लापता का पता

मैं उसके ख्यालो मे खोई इस तरह।
वह आकर चला गया पता न चला।

मै तेरे ख्याल मे खोई रही कुछ इस तरह।
तेरे आने और चले जाने का पता न चला।

तुम से मिलने की ख्वाहिश की हसरत लिए।
तेरी चाहत की आरजू अपने दिल मे लिए ।
हार मानी न आरजू से हमने समझौते किए।

आसमान पर आशियाना बनाने की चाह थी।
तिनके - तिनके बीनती रही मै बिखरती रही।

जमाने के ताने से दिल यू ही टूटता रहा।
जहर को दवा समझकर मै पीती रही।
दिल टूटने का गम बहुत कम न था।

खफा है गर जमाना मुझसे तो खफा ही रहे।
मुझे जमाने के र॔जोगम से वास्ता ही कब रहा।

खफा है गर वह मुझसे तो खफा ही रहे।
उसके हथेली
मेरा नसीब था
मे लिखा न मेरा नसीब था।

तेरा मिलना - बिछड़ना इत्तिफाकन हुआ।
बिछड़ कर फिर मिलना इत्तिफाकन नही।

तुम जिधर को चले मै उधर ही चलती रही।
तेरा पता हाथो मे लिए तुम्हें ढूढती चल रही।
लापता का पता सबसे मै पूछती चलती रही।

चलते चलते आ गई देखो कहां से कहां।
अब लौटना भी यहां से मुनासिब कहां।

कह दे न जमाना बेवफा लगा न दे इल्जाम।
लग जाए न बेवफाई की तोहमत तुम पर।

माना कठिन है बहुत अकेलापन भरा सफर।
इस सफर के अंजाम का है न मुझको खबर।

मेरी यह जिद्द ही एक दिन वरदान मेरा बन जाएगी।
तुम्हे खोजने का यह सफर मुझे खुदा तक ले जाएगी।

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