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तिष्यरक्षिता भाग -2

समय पंख लगाकर उड़ता रहा । रक्षिता मन ही मन कुणाल को पाने की भरसक कोशिश करती रही। जब भी कुणाल को देखती उसकी तड़प और बढ़ जाती। कुणाल को पाने की आशा में ही मैंने बूढ़े सम्राट से ब्याह रचाई। कितने स्वांग किए परंतु सब ब्यर्थ सा लग रहा । 
कुणाल जब भी सामने आते उनकी पलकें झूकी होती। जिस सौंदर्य पर मुझे नाज था, उसे तो कुणाल ने सर उठाकर देखा ही नहीं।
कभी-कभी मन में ईर्ष्या की भावना जग जाती । गुस्से से उसका उसका चेहरा लाल हो उठता। मेरे और कुणाल के बीच दूरी के लिए जिम्मेदार हैं कंचन माला। वह नारी सुलभ बदले की भावना से जल उठती। 
एक मैं हूं जो कुणाल को दिलोजान से चाहती हूं और एक यह है जो उसके बाहों में समाई रहती है। मर भी तो नहीं जाती कलमुही। पत्नी के नहीं रहने पर शायद उसे मेरी जरूरत महसूस हो।
जब हवस की आग उठती है बड़े-बड़े को जला देती है। रक्षिता कंचन माला को मार ही डालती पर यह संभव कैसे होगा ? मार तो डालूं परन्तु भेद खुल जाने पर अपनी भी तो खैर नहीं। महाराज फांसी पर लटका देंगे।
हर समय हर घड़ी मन कुणाल के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है। हर समय बस कुणाल, कुणाल और कुणाल। महाराज की चौथी पत्नी खूबसूरत और जवान । रक्षिता के दिल में अगर कोई है तो कुणाल। उसकी आंखें कितनी हसीन सी दिखाई देती है। मैंने आजतक ऐसी प्रणय निवेदन करती आंखें नहीं देखी। एक बार बस एक बार मुझे उस के आंखों में डूबने दो।
रक्षिता को ऐसा महसूस होता था कुणाल उससे बचने की कोशिश करते हैं। अगर सामना हो भी जाए तो अपनी पलकें नीचे रखते, उन्हें क्या पता इस आंखों ने मुझे किस कदर बेचैन कर रखा है।
रक्षिता के सामने अब एक ही रास्ता बचा है - दूत को भेजकर कुणाल को बुलाया जाए और अपनी मुहब्बत का इजहार किया जाए। ऐसा विचार आते हीं दूत को बुलाकर आदेश दिया। कुणाल को छोटी रानी के बुलावे की ख़बर दे आओ।
दूत संवाद लेकर कुणाल को बुलाने चला। 
इधर रक्षिता का दिल जोरों से धड़कने लगा। कैसे हां कैसे कहेंगी कुणाल से अपने दिल का हाल। आसान नहीं अपना प्यार का अपने चाहनेवाले के सामने खोलना। डर सा लगने लगा रहता है कहीं यह जुबान ने साथ नहीं दिया तो। अगर कह भी दिया तो न जाने कुणाल का क्या जवाब होगा। इंकार मिला तो जीते जी मर जाऊंगी।
मन के भीतर से आश्वासन आया- डरती क्यों हो रक्षिते संसार में कोई भी ऐसा पुरुष नहीं जो तुम्हारे जैसी खुबसूरत नारी का प्रणय निवेदन अस्वीकार कर दे।
इन्हीं बातों में डूबी थी,किसी की पैरों की आहट से निद्रा टूटी। क्रमस:..
एकतरफा प्यार

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