मालवार स्पिच की नामों से जाना जाता है- बसेला अल्वा, क्रिपिंग समर्पित, बफेलो स्पिच। यह साग है जो सालों भर खाई जाती है। बाकी स्पिच गर्मी में तीखे हो जाते वहां इसका स्वाद हमेशा बरकरार रहता है।
(१) कैसे लगाएं- यह बीज और कटिंग से लगाया जा सकता है।साल में कभी भी कटिंग लगाई जा सकती है।
(२) पत्ते- इसके पत्ते काफी हरे रंग और दिल के आकार में रहते हैं जो आपके आंखों को राहत देते है।आप मनी प्लांट की तरह सजावटी तौर पर भी लगा सकते है।
(३) मिट्टी- इसे आप हर प्रकार की मिट्टी में लगा सकते है।
(४) पानी- मालावार स्पिंच को नम मिट्टी चाहिए लेकिन पानी रूके नहीं। इसके पत्ते सकूलेन्ट है।
(५) धूप- बहुत ज्यादा धूप में पत्ते जल सकते हैं। सुबह शाम की धूप अच्छी रहती है।
(६) खाद- बहुत ही बेहतरीन साग है, इसे खाश खाद की आवश्यकता नहीं है। गोबर खाद काफी है। ज्यादा हिफाजत नहीं चाहिए।
(७) यह हरी सब्जियों में श्रेष्ठ है। इसमें कैलोरी और वसा बहुत कम है। साथ ही विटामिन, आयरन, कैल्सियम, मैग्नेशियम की प्रचूर मात्रा होती है।
(८) मेडिसनल- मालावार स्पिंच हर्ट और आंख-दांत के लिए वरदान है। यह डिप्रेशन हटाता है। कैंसर अवरोधी है।यह उर्जा देनेवाला साग है जिसे गर्भवती महिला भी खा सकती है। यह डायबिटीज में भी लाभकारी है।
(१) कैसे लगाएं- यह बीज और कटिंग से लगाया जा सकता है।साल में कभी भी कटिंग लगाई जा सकती है।
(२) पत्ते- इसके पत्ते काफी हरे रंग और दिल के आकार में रहते हैं जो आपके आंखों को राहत देते है।आप मनी प्लांट की तरह सजावटी तौर पर भी लगा सकते है।
(३) मिट्टी- इसे आप हर प्रकार की मिट्टी में लगा सकते है।
(४) पानी- मालावार स्पिंच को नम मिट्टी चाहिए लेकिन पानी रूके नहीं। इसके पत्ते सकूलेन्ट है।
(५) धूप- बहुत ज्यादा धूप में पत्ते जल सकते हैं। सुबह शाम की धूप अच्छी रहती है।
(६) खाद- बहुत ही बेहतरीन साग है, इसे खाश खाद की आवश्यकता नहीं है। गोबर खाद काफी है। ज्यादा हिफाजत नहीं चाहिए।
(७) यह हरी सब्जियों में श्रेष्ठ है। इसमें कैलोरी और वसा बहुत कम है। साथ ही विटामिन, आयरन, कैल्सियम, मैग्नेशियम की प्रचूर मात्रा होती है।
(८) मेडिसनल- मालावार स्पिंच हर्ट और आंख-दांत के लिए वरदान है। यह डिप्रेशन हटाता है। कैंसर अवरोधी है।यह उर्जा देनेवाला साग है जिसे गर्भवती महिला भी खा सकती है। यह डायबिटीज में भी लाभकारी है।
0 Comments