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क्या यह प्यार हैं ? शायद हां शायद नहीं

क्या हुआ सबेरे सबेरे हर आंखों में एक ही सवाल है? ऐसा कैसे कर सकती हैं नीतू ? सभी एक-दूसरे से जानने की कोशिश करते। आखिर हुआ क्या ? एक सीधी-सादी लड़की पढ़ने में अव्वल फिर क्यू उसने ऐसा किया ? मेडिकल का अंतिम साल , कहती थी पढ़ाई आगे भी जारी रखूंगी। एम बी बी एस करके क्या होगा ?
सुमन जो उसकी अंतरंग सहेली थी, डरते डरते शंका जताई - कहीं पैसे की कमी से आगे नहीं पढ़ पाने की चिंता में तो नहीं उसने ऐसा कदम उठाया।

उसने बताया था वह गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है। माता पिता की एकलौती संतान है। पिताजी कलकत्ता में किसी प्राइवेट कम्पनी मे है। पिताजी नीतू के तीव्र वुद्धि के कायल थे , उनकी इच्छा थी बेटी डाक्टर बने। मां के लाख समझाने पर इतने पैसे कहां से आएगा ? किसी तरह से पिताजी ने उसे कान्वेंट में पढ़ाया था। कान्वेंट मे पढ़ाई करना भी बहुत भारी पड़ा था, पैसे की कमी में मां के सारे गहने बिकते चलें गए।
मां को समझाने में पिताजी कहा करते थे - बेटी डाक्टर बन जाए फिर तुमको गहने से लाद देगी। छोटा परिवार किसी तरह चल रहा था। नीतू की सभी सहेलियां मेडिकल में एडमिशन के लिए कोचिंग करने गई तो नीतू के पिता ने कहा - बेटे तुम भी कोचिंग कर लो। नीतू घर की स्थिति जानती थी उसने साफ इंकार कर दिया। पिताजी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं होगी, मै कोचिंग से अच्छी तरह खुद पढ़ लूंगी।

आज पापा हाथ में अखबार लिए घर में दाखिल हुए तो नीतू चौंक उठी। पापा के हाथ में अखबार था और उनके हाथ कांप रहे थे। शायद रिजल्ट घोषित हुआ है , पापा अपने पर दो रूपए भी कहां खर्च करते थे, शायद आज पहली बार अखबार खरीद कर लाए थे।

दो रुपए के अखबार ने पूरे घर में खुशहाली बिखेर दी। सप्ताह भर पड़ोस के रिश्तेदारों के आने का तांता लगा रहा। मां ने पापा को याद दिलाया पूजा करनी है, लोग मिठाई खाना चाहते हैं। प्रसाद में एक लड्डू भी रख देना, मिठाई की खानापूर्ति भी हो जाएगी।
 यह बात नीतू ने हंसते हुए कहा - हम जैसो के लिए मिठाई का मतलब लड्डू ही होता है।

कभी कभी खुशी जब रास्ता भूल जाती है हम जैसों के घर आ जाती है। अपनी गलती का अहसास होते फिर लौट जाती है।
हमारे परिवार मे खुशी आई तो साथ मे गम भी चिपक आया। पिताजी की तबियत अचानक बिगड़ गई। आनन-फानन मे उनका आप्रेशन करना पडा।

एक तरफ पिताजी बेड पर दूसरी ओर मेरा एडमिशन। मां ने पिताजी को समझने के लिए कहा- कहां से आएगा इतना पैसा ? एडमिशन की छोड़ दो बेटी कम्पिट कर गई न। जग हसाई से बच गए , कोई यह नही कहेगा नीतू पढ़ाई मे अच्छी नही थी। सभी जानते हम कोई धना सेठ नही है। किसी तरह गुजारा चल जाता है। मेडिकल का खर्च कहां से कर पाएंगे , किसी से कुछ छुपा थोड़ा है।

नीतू ने मेरी तरफ देखकर मुस्कराकर कहा जानती हो पिताजी ने क्या कहा ?

पिताजी ने कहा - आप अपने भाई को बुलाकर नीतू के एडमिशन के लिए भेज दे , पैसा की चिंता न करे उसका इंतजाम मैने कर लिया है। मैने बैंक से कर्ज ले ली है। नीतू जब डॉक्टर बन जाएगी बैंक को पैसे वापस मिल जाएगे।

इसी समय पुलिस की गाड़ी आ गई। सबको वहां से हटा दिया गया। सुमन ने बताया नीतू के माता पिता को खबर दे दी गई है। वे लोग शायद शाम तक पहुँचेे।

नीतू के माता- पिता के आते ही सभी फिर इकट्ठे हो गए। मां की स्थिती बहुत खराब थी, जाने कैसे यहां तक ला पाए थे।
रोते- रोते बेहोश हो जाती थी, होश मे आते ही कहती थी ऐसा क्यो हुआ ? क्या हमारे प्यार मे कोई कमी थी जो तुम हमे छोड़कर चली गई। अरे पगली तुम्हारे लिए पापा ने अपनी किडनी तक बेच दी और हमसे छुपाए रखा, अपेनडीश का आप्रेशन हुआ है कहकर हमे बहलाते रहे।

सुमन को काटो तो खून नही। यह क्या कह रही है आंटी। नीतू के पढ़ाई के लिए अंकल ने अपनी किडनी बेच दी ? समझ नही आ रहा मै कैसे उनलोगों को धीरज दूंं ।
समझ नही आ रहा नीतू ने ऐसा क्यो किया ? जिसके पास जान से बढ़कर प्यार करनेवाले माता- पिता हो वह कैसे ऐसा कर सकती है ?
चार दिन बाद पुलिस ने मोबाइल खगांला तो आत्महत्या का कारण प्रेम मे असफलता निकलकर सामने आया।

जब से नीतू के सुसाइड का कारण पता चला सुमन को नीतू पर गुस्सा आ रहा। यह क्या मुहब्बत है ? क्या इसीलिए प्यार को अंधा कहा जाता है। नीतू को अपने माता-पिता का ख्याल नही आया।
नही यह प्यार नही प्यार कायरता का नाम नही। जो दूसरे के प्यार को समझ नही सकता, जो माता पिता के प्यार केे लिए जी नही सकी। प्यार किसी के लिए जीना को कहते या किसी के लिए मरने को कहते ???😢
वह चली गई

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