आज एक गणित अपने मस्तिष्क में बनाते हैं।
अतीत से कुछ निकालकर वर्तमान में लाते हैं।
वर्तमान को जीते नहीं भविष्य के लिए बचाते हैं।
जिंदगी की परिभाषा बस इतनी ही समझ में आती है।
अतीत से जो भी बचाया भविष्य वह कहलाता है।
वर्तमान बीच में दोनों तरफ से घुटता ही रह जाता है।
शून्य से ही तो जन्मा था शून्य में ही मिल जाता है।
जहां से चलकर इंसान आया था फिर वही जाता है।
मौत मुझसे पूछता है रोज बहुत ही प्यार से।
वक्त कितना बच गया है काम कितना रह गया।
जिंदगी बची हो जितनी बस उतना ही काम ले।
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