तीन वस्त्र पर ऐसे इतरा रहे हो।
सबको तुम कैसे नचा रहे हो।
एक तो फट कर चिथड़ा पड़ा है।
हम सबने तो उसको भूत कहा है।
बदन पर तेरे लिपटा मंहगा सूट है।
जिस पर भूत की पड़ी हुई धूल है।
भूत आहार भूत विहार भूत मे जीना भी हैं कोई जीना।
प्रेयसी भूत से जान छुड़ाओ वर्तमान को गले लगाओ।
तीन वस्त्र ही लेकर थे तुम जहाँ में आए।
लिवास जो भूत वर्तमान भविष्य कहाए।
तीसरा लिवास तो करघे पर चढ़ा हैं।
उसे सजाने में तन मन दोनों लगा है।
हाथ जोड़ वर्तमान तेरे द्वार खड़ा है।
भविष्य की चिंता में न उसे गवाओ।
है जो अजन्मा भविष्य तेरा उस पर तुम दांव लगाओ।
गर्भ में छुपा या करघे पर चढ़े लिवास पर ना इतराओ।
सबको तुम कैसे नचा रहे हो।
एक तो फट कर चिथड़ा पड़ा है।
हम सबने तो उसको भूत कहा है।
बदन पर तेरे लिपटा मंहगा सूट है।
जिस पर भूत की पड़ी हुई धूल है।
भूत आहार भूत विहार भूत मे जीना भी हैं कोई जीना।
प्रेयसी भूत से जान छुड़ाओ वर्तमान को गले लगाओ।
तीन वस्त्र ही लेकर थे तुम जहाँ में आए।
लिवास जो भूत वर्तमान भविष्य कहाए।
तीसरा लिवास तो करघे पर चढ़ा हैं।
उसे सजाने में तन मन दोनों लगा है।
हाथ जोड़ वर्तमान तेरे द्वार खड़ा है।
भविष्य की चिंता में न उसे गवाओ।
है जो अजन्मा भविष्य तेरा उस पर तुम दांव लगाओ।
गर्भ में छुपा या करघे पर चढ़े लिवास पर ना इतराओ।
1 Comments
Beautiful
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