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१#तन्हाई में जब कभी याद हमारी आई होगी#नींद में मेरी नज्में उसने गुनगुनाई होगी

तन्हाई में जब कभी याद हमारी आई होगी।
नींद में मेरी नज्मे उसने गुनगुनआई होगी।

एक सांझ तेरे द्वार पर ऐसी भी आई होगी।
विगत यादों से आंखें तेरी भर आई होगी।

नाम मेरा लिख लिखकर जब तुमने मिटाई होगी।
दिल बहुत रोया होगा यह भी तो सच्चाई होगी।

दिल के विद्रोह पर लगाया जो पहरा होगा।
जाने कैसे तूने उसे टूटने से बचाया होगा।

दिन ढले किरने जब आंगन में उतर आई होगी।
दीप जलाते हुए तेरी उंगलियां थरथराई होगी।

अपने को संभाल पाने की कोशिश भी रंग लाई होगी।
खत को मेरे कूड़ेदान से निकाल सीने से लगाई होगी।

जब कभी जश्ने महफिल उसने सजाई होगी।
मेरी कमी भरी महफिल में उसने पाई होगी।
नाम मेरा लिख लिख कर जब तुमने मिटाया होगा

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