जाने वह कौन है जो ख्वाब बनकर आंखों में समा जाता है।
जाने कहां से जिंदगी में आता है फिर जाने कहां चला जाता है।
मासूम सा वह चेहरा दिल में हलचल सा मचा जाता है।
अपना तो नहीं होता भ्रम अपना होने का दिला जाता है।
बिना कुछ कहे जो समझ जाए वह दिल के करीब होता है।
कहें वगैर जो समझे ऐसा दोस्त कहां सबको नसीब होता है।
इंसान की फितरत पढ़कर देखो यह भी तो लिखा होता है।
जो जितना देता है उसको उतना पाने का ही हक होता है।
मुस्कुराहट पर सबका हक हो गुस्सा तो अपनों के लिए होता है।
गुस्से में देखकर उन्हें महसूस ऐसा होता है।
जमाने में गैरों के बीच अपना भी कोई होता है।
जाने कहां से जिंदगी में आता है फिर जाने कहां चला जाता है।
मासूम सा वह चेहरा दिल में हलचल सा मचा जाता है।
अपना तो नहीं होता भ्रम अपना होने का दिला जाता है।
बिना कुछ कहे जो समझ जाए वह दिल के करीब होता है।
कहें वगैर जो समझे ऐसा दोस्त कहां सबको नसीब होता है।
इंसान की फितरत पढ़कर देखो यह भी तो लिखा होता है।
जो जितना देता है उसको उतना पाने का ही हक होता है।
मुस्कुराहट पर सबका हक हो गुस्सा तो अपनों के लिए होता है।
गुस्से में देखकर उन्हें महसूस ऐसा होता है।
जमाने में गैरों के बीच अपना भी कोई होता है।
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