केऊकंद का पौधा जंगली पौधा समझा जाता है। यह ट्रॉपिकल सब ट्रॉपिकल दोनों है। इस के अनेकों नाम है हर जगह से हर नाम से पुकारा जाता है। संस्कृत में इसे केंबूका कहते हैं, आसाम में तारा, बंगाल में केऊ, गुजरात में वालाकंद, स्पीरल जीनजर, वेरीगेटेड क्रीप जिंजर इत्यादि अनेकों नाम है।
इसके कंद का चटनी और जूस बनाकर उपयोग किया जाता है। बीज को दवा या पाउडर बनाकर तथा पत्ते को पीसकर उपयोग करते हैं।
आइए जानते हैं कि यह किन किन बीमारियों में फायदेमंद होता है।
१) डायबिटीज मधुमेह - इंसुलिन की पूर्ति करता है।
२) किडनी - किडनी की कार्य क्षमता सुधारते है।
३) अस्थमा पुरानी से पुरानी अस्थमा को दूर कर देता है।
४) घाव फुंसी या फिर कोई फंगल रिलज हो तो इसके पत्ते को या राइजोम को पीसकर लगाने से ठीक हो जाता है।
५) बुखार में भी के केऊकंद का जूस फायदेमंद होता है।
६) पेट में कीड़ा - ऐसे बच्चे के पेट में कीड़ा हो जाता है या फिर से आने को भी पेट में कीड़ा हो जाए तो इसके पत्ते का जूस बनाकर पीने से कीड़े मर जाते हैं।
७) डिसेंट्री - पेट की गड़बड़ी के लिए भी फायदेमंद है।
८) यूरिन प्रॉब्लम - पेशाब में होने वाली हर एक प्रकार की परेशानी जैसे पेशाब के को रुक-रुक के आना में केऊकंद लाभदायक है।
९) मेंटल डिसऑर्डर डिप्रेशन वाले अगर इसके पत्ते का सेवन करते रहे तो उनका डिप्रेशन समाप्त हो जाएगा। या दिमागी कमजोरी यानी पागलपन को भी ठीक करने की क्षमता रखता है।
१०) स्वास्थ्य व्यक्ति विशेष का सेवन कर सकते हैं क्योंकि यह हमारे शरीर के टॉक्सिक जो है उसको हटाता है।
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Great
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