राह देखती रहती है ऐ आंखें किसकी ।
हर एक आहट पर दिल धड़कता क्यूं है।
आईने की फिदरत में है सच कहना।
ज़माने सच सुनने से तू डरता क्यूं है।
अंन्धेरो में घिरा हर शख्स से पूछो।
उजाले में वो आने से डरता क्यूं है।
मुहब्बत नहीं हो क़िस्मत में जिसके।
प्यार के झमेले में वो पड़ता क्यूं है।
रूठे को मनाने का नहीं सलीका जिसको।
रूठकर उससे खुद ही खुद मानता क्यूं है।
आंखों को जब सपनों का इंतजार नहीं।
जिंदा अपने को वो शख्स समझता क्यूं है ?
मां की दूध का भी क़र्ज़ न उतारा जिसने।
नाम में अपने बाप का सरनेम लगाता क्यूं है
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