छोड़ बांसुरी अब कान्हा सुदर्शन चक्र उठाने होंगे।
फिर से कन्हैया तुमको अब धरती पर आने होंगे।
मुंह पर चिकनी चुपड़ी बातें।
पीठ पर घाव खंजर से करते।
घर-घर में यहां विभिषण रहते।
कुत्तों को मिलता दूध मलाई।
मां पिता सूखी रोटी को तरसते।
दूध बकसने की धमकी से भी कहां।
आजकल के संतान है डरते।
फिर से तुम्हें ही आना होंगे।
गीता का पार्ट टू बनाना होंगे।
राह भूले इन्सानों को आकर।
धर्म कर्म की राह पर लाने होंगे।
बेटियां बहुएं बन तो जाती।
फिर भी बेटी ही रह जाती।
घर चलाने के तौर तरीका।
मैके से मोबाइल पर पाती।
बच्चे अब बाप बन जन्मते।
शिक्षक से ज्ञानी खुद को समझते।
सबके आंखों में धूल झोंककर।
गुगल की बदौलत पास है करतें।
हे माधव धरती पर आ जाओ।
फल की चिंता में रहनेवाले को
कर्म करने की महत्ता समझाओ।
बांसुरी छोड़ सुदर्शन चक्र उठाओ।
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Nice
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