एक था बचपन प्यारा सा बचपन।
चाहत चांद को पाने की थी।
हर मौसम सुहाना सा था।
मां की कहानी में परियों का
भरा हुआ खजाना था।
रोने का वज़ह ना कोई
हंसने का ना कोई बहाना था।
बचपन का जमाना यारों।
खुशियों का खजाना था।
फिजाओं की रस्में ना कोई।
हवाओं की कश्में थी।
हर दिशाओं में राज था अपना।
दिल तितलियों का दीवाना था।
क्या बचपन का जमाना था।
बुलाए ना कोई भगाएं ना कोई।
हर ओर साम्राज्य हमारा था।
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